गर्मियों में हर साल हो जाती है इतने गरीबों की मौत, आंकड़े जानकर यकीन नहीं कर पाएंगे आप
People Died From Hot Weather: हर साल गर्मी के मौसम में तमाम लोगों की हीटवेव से मौत हो जाती है. लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार गरीबों पर पड़ती है. हर साल करीब कितने गरीब मरते हैं, आइए जानें.

झुलसती हुई गर्मी और चढ़ते हुए पारे की वजह से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है. बाहर जाने का मन नहीं करता और घर में गर्मी चैन से रहने नहीं देती है. बिना एसी-कूलर के तो गर्मी में गुजारा करना सोचना भी मुमकिन नहीं है. एक नए रिसर्च में ऐसा सामने आया है कि हीटवेव अगली हीटवेव के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर सकती है, जिससे कि दो बार भीषण गर्मी और लू की संभावना जताई जा रही है. भारत में तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक गर्मी का सितम जारी है.
बढ़ी हुई सर्दी हो या फिर गर्मी, मौसम की मार हमेशा सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ती है. गर्मियों में हर साल तमाम गरीबों की मौत हो जाती है. हम आपको यह आंकड़ा बताएंगे तो शायद आपके लिए यकीन करना मुश्किल हो सकता है.
2023 तक गर्मी से कितनी मौतें हुईं
हर साल भीषण गर्मी को लेकर अलर्ट जारी किया जाता है, क्योंकि तापमान 43 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. हर बार मौसम विभाग अलर्ट जारी करके कहता है कि बेवजह दिन के समय घर से बाहर न निकलें. सूती कपड़े से खुद को ढंककर रखें. पानी पीते रहें और परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. हालांकि इसके बाद भी लोग हीटवेव की चपेट में आ ही जाते हैं. आज तक की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2015 से 2023 तक हीटवेव से मरने वालों की संख्या देश में 4057 रही है.
2015 से 23 तक कितने लोगों की जिंदगियां खत्म हो गईं
21 जुलाई साल 2023 में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के संदर्भ में सरकार ने एक डेटा शेयर किया था, जिसमें बताया गया था कि 2015 से 2023 तक हर साल कितने लोग मरे. इसमें साल 2015 में 2040 मौतें, 2016 में 1102, 2017 में 375, 2018 में 24, 2019 में 215, 2020 में 4, 2021 में 0, 2022 में 33 और 2023 में 264 मौतें हुई थीं.
इन महीनों में पड़ती है भयंकर गर्मी
भारत में असल गर्मी के तीन महीने हैं, जो कि बेहाल कर देते हैं. वो हैं अप्रैल, मई और जून. इस मौसम में भारत के ज्यादातर हिस्सों में भयानक गर्मी होती है. इसके बाद मानसून का सीजन आता है और थोड़ी राहत मिलती है. मानसून में तापमान गिरना शुरू होता है, लेकिन पिछले एक दशक से गर्मी का सितम लगातार बढ़ता ही जा रहा है और ऐसे में देश के कई हिस्सों में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है.
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