Ukraine War: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को एक साल से अधिक हो गए हैं. दोनों देशों की जिद और पीछे ना हटने की हठ ने लाखों सैनिकों को कभी ना खत्म होने वाली दर्द के आगे झोंक दिया है. हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. युक्रेन की सरकार के पास इतना अब धन नहीं बचा है कि वह युद्ध को लड़ सके. हालांकि विदेश से मिले सहयोग के दम पर वहां के सैनिक अभी भी मैदान में टिके हुए हैं. आइए आज समझते हैं कि युक्रेन अपने सैनिकों को दर्द से निपटने के लिए गांजा देने की वकालत क्यों कर रहा है. उसने इसके लिए विधेयक भी पारित कर दिया है. इसके पीछे का साइंस क्या है? और वहां के लोग इसका विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं. आइए समझते हैं.
वहां के लोग तनाव का हो रहे शिकार
रूस के साथ जारी संघर्ष ने यूक्रेन पर विनाशकारी प्रभाव छोड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं और नागरिकों और सैनिकों दोनों में डिप्रेशन और तनाव बढ़ता हुआ देखा गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यूक्रेन की अनुमानित एक चौथाई आबादी और उसके 60% सैनिक युद्ध के कारण डिप्रेशन या पीटीएसडी से पीड़ित हो सकते हैं. चूंकि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं ट्रॉमा यूनिट्स को प्राथमिकता दे रही हैं, इसलिए वैकल्पिक उपचार की तत्काल आवश्यकता है.
गांजा का इस्तेमाल क्यों?
मेडिकल कैनबिस ने पीटीएसडी से जुड़े दर्द और लक्षणों को कम करने में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है, जिससे यह युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए एक आशाजनक समाधान बन गया है. मेडिकल कैनबिस को वैध बनाने से सैनिकों और नागरिकों को डॉक्टरी नुस्खे वाले ओपिओइड का एक सुरक्षित विकल्प मिलेगा, जिसकी लत लग सकती है और इसके हानिकारक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी इस समय यूक्रेन इसे इकलौता विकल्प मानकर मंजूरी दे रहा है.
ये भी पढ़ें: Nobel Prize Winner 2023: कितने भारतीयों को अभी तक मिल चुका है नोबेल पुरस्कार, यहां देखें लिस्ट