भारत में कुछ ऐसी कुरीतियां हैं जो परंपराओं के नाम पर अब भी जारी हैं, जिनका विरोध तो कई लोग करते हैं लेकिन वो खत्म नहीं होतीं. ऐसी की एक कुप्रथा है बाल विवाह. जी हां, भारत में आज भी एक जगह ऐसी है जहां छोटी उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है और यदि यहां कोई लड़की बड़े होकर इस बंधन से मुक्त होना चाहती है तो उसे इसकी कीमत लाखों रुपये चुकानी पड़ती है. चलिए इस अजीब परंपरा और ये कहां निभाई जाती है इसके बारे में जानते हैं.


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यहां बचपन में ही तय हो जाती है शादी


राजगढ़, मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला है, जहां परंपराएं और रिवाजों का गहरा असर है. यहां पर बाल विवाह का चलन आज भी बहुत प्रचलित है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परंपरा के तहत, कई बार लड़का और लड़की की शादी बचपन में ही तय कर दी जाती है. यह शादियां अक्सर समाज की पारंपरिक मान्यताओं और परिवारों के बीच के समझौतों पर आधारित होती हैं. बाल विवाह का यह रिवाज इस क्षेत्र में कई दशकों से चला आ रहा है, जहां समाज के नियमों के तहत माता-पिता अपने बच्चों की शादी बचपन में तय कर देते हैं. इसे परिवारों के बीच रिश्ते मजबूत करने, संपत्ति की सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा बनाए रखने का एक तरीका माना जाता है.


लेकिन जब यह विवाह बड़े होने पर तोड़ने की स्थिति में आते हैं, तोमामलाऔरगंभीरहोजाताहै.यदि कोई लड़की इस तरह की शादी बड़े होकर तोड़ना चाहती है तो उसे अपने ससुराल पक्ष द्वारा मांगी गई रकम चुकानी पड़ती है, जो अमूमन लाखों में होती है. यदि वो ऐसा नहीं करती है तो उसे पंचायत में सजा तक सुनाई जा सकती है.


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क्यों लगाया जाता है लाखों रुपये का जुर्माना?


राजगढ़ में चलने वाली इस प्रथा का नाम झगड़ा नातरा है. दरअसल राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफ़एचएस-5) के अनुसार राजगढ़ ज़िले में 52 फ़ीसदी महिलाएं अनपढ़ हैं और 20-24 आयु वर्ग की कुल लड़कियों में से 46 फ़ीसदी ऐसी हैं जिनकी शादी 18 साल से पहले की जा चुकी है यानी कि इनका बाल विवाह हो चुका है.


सिर्फ राजगढ़ ही वो जगह नहीं है जहां झगड़ा नातरा प्रथा चल रही है, इसके अलावा आगर मालवा, गुना समेत राजस्थान के झालावाड़ से लेकर चित्तौड़गढ़ जैसी जगहों पर भी ये प्रथा निभाई जाती है. अब सवाल ये उठता है कि कोई लड़की यदि इस तरह के रिश्ते में न रहना चाहे तो उससे पैसे क्यों मांगे जाते हैं? तो बता दें कि यह जुर्माना इसलिए तय किया जाता है ताकि समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा बनी रहे. अगर शादी टूटती है तो दोनों परिवारों के बीच यह मुआवजा राशि चुकानी पड़ती है. इस जुर्माने को पारंपरिक रूप से एक प्रकार से समझौता माना जाता है, जिससे परिवारों की प्रतिष्ठा को बनाए रखने की कोशिश की जाती है.


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