मेरठ में कांवड़ ले जा रहे कांवड़ियों के ऊपर हाईटेंशन तार टूटकर गिरने से बड़ा हादसा हुआ. इस दर्दनाक हादसे में कुछ लोगों की मौत हो गई है. कावड़ यात्रियों के साथ हुए इस हादसे के बाद से हाईटेंशन लाइन के बारे में फिर से बातें होने लगी हैं. इसके अलावा भी अक्सर सोशल मीडिया पर वीडियो आते हैं कि हाई टेंशन लाइन की चपेट में आने से व्यक्ति की मौत हो गई और हाई टेंशन लाइन की वजह से कई बार हादसे हो जाते हैं.


ऐसे में सवाल है कि आखिर हाई टेंशन तार में कितने वॉल्ट या कितना खतरनाक करंट बहता है कि इसके संपर्क में आते है कि इंसान की मौत हो जाती है. साथ ही सवाल है ये है कि जब तार से बिना टकराए ही लोग करंट की चपेट में आ जाते हैं तो फिर इसे नीचे से जाना क्या खतरनाक साबित हो सकता है? ऐसे में जानते हैं हाई टेंशन तार से जुड़े कुछ खास तथ्यों के बारे में, जो आपको जानना जरूरी है...


कैसे तार के चपेट में आ जाते हैं लोग?


दरअसल, तार की चपेट में आने की एक अहम वजह इलेक्ट्रिक फील्ड है. होता क्या है जो काफी हाई वोल्टेज के तार होते हैं, वो अपने पास एक इलेक्ट्रिक फील्ड बना लेते हैं, जिसके बाद हवा में भी करंट प्रवाहित होना शुरू हो जाता है. वैसे हवा में करंट प्रवाहित होना मुश्किल होता है, लेकिन अगर हवा में काफी तेज वोल्टेज का करंट छोड़ा जाए तो हवा के मॉलिक्युल्स कमजोर पड़ जाते हैं और कुछ क्षेत्र में हवा में भी करंट रहता है. 


ऐसा ही हाईटेंशन तारों के साथ होता है. इसमें ज्यादा तेज करंट होने पर करंट आसपास के क्षेत्र में इलेक्ट्रिक फील्ड जनरेट कर लेता है. इसके साथ ही जब बारिश होती है तो मौसम में नमी होती है, इससे थोड़ी ज्यादा दूर तक इलेक्ट्रिक फील्ड जनरेट हो जाता है. इसलिए बारिश की मौसम में करंट की ज्यादा घटनाएं होती है. जब कोई भी इलेक्ट्रिक फील्ड में एंटर होता है तो उसे करंट का झटका लगता है, इस वजह से हाईटेंशन तार काफी ऊंचे लगाए जाते हैं और इनके खंभे भी काफी ऊंचे होते हैं. 


खंभे किस हिसाब से लगाए जाते हैं?


जिन तारों में ज्यादा करंट होता है, उनके खंभे भी काफी ऊंचे लगाए जाते हैं. वैसे तो खंभे की ऊंचाई तारों के करंट, वहां के भूगोल, पहाड़ी इलाके, मैदानी इलाके, पानी आदि के हिसाब से तय होती है, मगर करंट भी अहम कारण होता है. जैसे 33 केवी लाइन में 8 से 10 मीटर, 66 केवी में 12 से 18 मीटर, 132 केवी में 18-25 मीटर, 220 केवी में 25-35 मीटर, 400 केवी में 35-50 मीटर और 700 से ज्यादा केवी में 45 मीटर से भी ऊंचे खंभे लगाए जाते हैं. 


कितना होता है करंट?


अब बात करते हैं कि हाई टेंशन लाइन में कितना करंट होता है. हर हाई टेंशन तार में अलग करंट होता है. ये उस स्थान की जरुरत के हिसाब से बनाए जाते हैं. वैसे हाईटेंशन तार में 400 से 800 केवी तक का करंट होता है, जो हमारे घर के तारों में दौड़ रहे करंट से काफी ज्यादा होता है. कंडक्टर्स के बीच काफी ज्यादा वॉल्ट रहता है. 


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