अब चोरी के लिए चोरों को गाड़ी में लगे जीपीएस या फिर अलार्मिंग सिस्टम का भी डर नहीं रह गया है, जिसकी वजह चोरी का हाईटेक तरीका है. दरअसल हाल ही में दिल्ली में एक नए डेटा का खुलासा हुआ है. जिसमें बताया गया है कि पूरे देश के मुकाबले देश की राजधानी दिल्ली में हर महीने 4 हजार गाड़ियां चोरी हो रही हैं. ये देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. इसमें टू और फोर व्हीलर दोनों ही गाड़ियां शामिल हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा हो कैसे रहा है? तो बता दें कि ये चोरों का चोरी करने का हाईटेक तरीका है.


विंडशील्‍ड पर लगा बारकोड स्कैन चोरी करना सकता है आपकी कार


रोहिणी पुलिस ने हाल ही में चोरी हुई एक लग्जरी गाड़ियों की खेप बरामद की थी. इस दौरान एक पुलिस अफसर ने खुलासा किया कि लग्जरी कारों में बिना चाबी वाली एंट्री (keyless entry) जैसी सुविधाएं होती हैं. दरअसल इनमें विंडशील्ड में बारकोड होता है. चोर ऐसी गाड़ियों के बारकोड को स्कैन करते हैं और कारों को अनलॉक करने और यहां तक कि रिमोट एक्सेस हासिल करने के लिए कोड को दूर लैपटॉप पर बैठे सिंडिकेट के सदस्य को भेज देते हैं. इस कोड को हैक करने के बाद उन्हें गाड़ी का एक्सेस आसानी से मिल जाता है और वो गाड़ी को बिना किसी परेशानी के चोरी कर लेते हैं.


मैजेस्टिक डाटा रीडर से हो रहा ये काम


कार चोरी करने के लिए मैजेस्टिक डाटा रीडर भी अहम रोल निभा रहा है. दरअसल कंप्यूटर की कम जानकारी रखने वाले मैजेस्टिक डाटा रीडर से डाटा डाउनलोड करके ले जाते हैं और उसकी डुप्लीकेट चाबी यानी उसका रिमोट तैयार करवा लाते हैं.


वहीं दूसरी ओर हाईटेक चोर लैपटॉप साथ लेकर चलते हैं. ऐसे में वो कार दिखते ही मौके पर ही डेटा रीड करने के साथ ही उसे ब्रेक कर देते हैं. साथ ही वो चोरी के बाद कार में लगे जीपीएस सिस्टम को डिएक्टिवेट कर देते हैं. पुलिस की मुताबिक, चोरी की गाड़ियों को यूपी समेत पूर्वोत्तर राज्यों और नेपाल तक ठिकाने लगाया जा रहा है. ये लोग कबाड़ से एक पुरानी कार खरीदते हैं. उसके साथ इन्हें कागज भी मिल जाते हैं. फिर उसी मॉडल की कार में मामूली फेरबदल के साथ उसे ऑनलाइन बेच दिया जाता है. रेड एंड ब्लू मशीन के जरिये चाबी बनाने में मदद भी मिल जाती है.


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