असम कि सरकार (Assam Government) ने फैसला किया है कि राज्य में 15 सितंबर को सुबह 10 बजे से दोपहर के 1:30  तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी. दरअसल, राज्य सरकार ऐसा सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा में नकल रोकने के लिए कर रही है. लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या कोई मुख्यमंत्री या राज्य सरकार ऐसे ही राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद करवा सकती हैं. चलिए आज आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि कोई राज्य सरकार किन स्थितियों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर सकती है.


कब किया जा सकता है इंटरनेट शटडाउन?


भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, इंटरनेट सेवाओं को बंद करवाना किसी राज्य के मुख्यमंत्री के लिए एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर फैसला होता है. यह कदम तब उठाया जाता है, जब राज्य की सुरक्षा या शांति व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता होती है. इसके अलावा सांप्रदायिक हिंसा, आतंकवाद या किसी ऐसी अफवाह को फैलने से रोकने के लिए भी इंटरनेट सेवाएं बंद करा दी जाती हैं, जिससे देश की एकता और अखंडता पर खतरा हो. हालांकि, उस स्थिति में भी ऐसा करने के लिए कई तरह की कानूनी और संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करना होता है.


किस कानून के तहत होता है इंटरनेट बंद


इंटरनेट बंद करने के लिए भारत में कानूनी रूपरेखा भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत निर्धारित की गई है. इस अधिनियम की धारा 5(2) के मुताबिक, केंद्र सरकार या राज्य सरकारें राष्ट्रीय सुरक्षा, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या किसी आपराधिक गतिविधि की रोकथाम के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर सकती हैं.


क्या सीएम के आदेश पर होता है इंटरनेट बंद


आपको बता दें, इंटरनेट बंद करने का आदेश सीधे मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर से नहीं जारी किया जा सकता. बल्कि, इसका फैसला भारत सरकार के टेम्परेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) रूल्स, 2017 के तहत लिया जाता है. इसे आप "सस्पेंशन रूल्स" के नाम से भी जानते हैं. इस नियम के अनुसार, राज्य के मुख्य सचिव या गृह विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश जारी करना होता है, और यह आदेश गृह मंत्रालय द्वारा पास होना चाहिए.


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