शहरों, कस्बों और गांवों में रहने वाले इंसान ज्यादातर एक जैसे होते हैं. उनका रहन-सहन, उनके खाने-पीने का तरीका सब कुछ लगभग एक जैसा होता है. लेकिन जंगलों में रहने वाली जनजातियां आम लोगों से बिल्कुल अलग होती हैं. अलग-अलग जनजातियां अलग-अलग तौर तरीकों से रहती हैं, ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी खास जनजाति के बारे में बताने वाले हैं जो आधुनिकता से बिल्कुल दूर है और आज भी अपनी पुरानी परंपराओं के आधार पर जीवन यापन कर रही है.
कौन सी है ये जनजाति
हम जिस अनोखी जनजाति की बात कर रहे हैं वो नामीबिया में रहती है. नामीबिया अफ्रीका के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है, जहां आज भी कई जनजातियां जंगलों में उसी तरह से रह रही हैं, जैसे वो सदियों पहले रहा करती थीं. यहीं रहती है दुनिया की सबसे खास हिम्बा जनजाति.
कौन होते हैं हिम्बा लोग
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिम्बा जनजाति के लोग मुख्य रूप से नामीबिया के किसान हैं. ये लोग सदियों से खेती करते आए हैं और पशुओं को पालकर अपना जीवन बिताते हैं. खासतौर से गाय, भेंड़ और बकरियां पाल कर अपना जीवन बिताते हैं. इस जनजाति में महिलाओं की अहम भूमिका होती है. दरअसल, इस हिम्बा पुरुष बाहर रह कर शिकार करते हैं, जानवरों की देखरेख करते हैं. वहीं महिलाएं घर संभालती हैं और भोजन पानी का इंतजाम करती हैं.
लाल रंग की क्यों दिखती हैं हिम्बा महिलाएं
हिम्बा जनजाति में लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है. यहां पुरुष को एक से ज्यादा शादी करने की इजाजत होती है. कहा जाता है कि ये महिलाएं सिर्फ अपने शादी के दिन ही पानी से नहाती हैं. बाकी पूरा जीवन ये सिर्फ स्टीम से नहाती हैं. वहीं इनके लाल रंग की त्वचा का राज है नामीबिया की लाल मिट्टी. दरअसल हिम्बा लोग इसी लाल मिट्टी में जानवरों की चर्बी मिलाकर एक लेप बनाते हैं और फिर उसे अपने शरीर पर लगा लेते हैं. वो ऐसा हर दूसरे तीसरे दिन करते हैं. यही वजह है कि इनका पूरा शरीर लाल रंगा का दिखाई देता है. हिम्बा लोग मानते हैं कि ये लेप उनके त्वचा की रक्षा करत है. खासतौर से इंफेक्शन से और तपती धूप से.
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