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Genocide of Hindus: नाराजगी शेख हसीना से, फिर बांग्लादेश में निशाने पर क्यों हिंदू? जानें वजह

बांग्लादेश में पीएम शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तो आरक्षण के लिए था? लेकिन अब प्रदर्शनकारियों और कट्टरपंथियों ने वहां पर रहने वाले हिंदूओं को टारगेट बनाना शुरू कर दिया है.

बांग्लादेश में जारी हिंसक प्रदर्शनों में अभी तक कोई कमी नहीं आई है. आरक्षण को लेकर शुरू हुए इन हिंसक और आगजनी घटनाओं के बीच बांग्लादेश में मुसलमानों का एक बड़ा तबका अल्पसंख्यक हिंदू परिवारों को निशाना बना रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे पीएम शेख हसीना को लेकर शुरु हुआ विवाद हिंदुओं तक पहुंच गया है. जानिए आखिर इसके पीछे की वजह क्या है.

बांग्लादेश
 
बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. जहां एक तरफ इन हिंसाओं के कारण राजनीतिक में एक बड़ा फेरबदल हो रहा है, वहीं इन हिंसाओं में शामिल उपद्वदियों ने आरक्षण मुद्दे से खुद को अलग करके हिंदूओं को टारगेट करना शुरू कर दिया है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों बांग्लादेश में हिंदूओं को निशाना बनाया जा रहा है. 

बांग्लादेश में हिंदू टारगेट

बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ जो आक्रोश था, उन प्रदर्शनकारियों ने अब अपना टारगेट हिंदूओं को बनाया है. बता दें कि पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति काफी खराब हुई है. ऐतिहासिक रूप से 1951 में हिंदुओं की आबादी लगभग 22 फीसदी थी. लेकिन 2011 तक यह घटकर लगभग 8.54 फीसदी रह गई है. जिसका मुख्य कारण धार्मिक उत्पीड़न और आर्थिक रूप से हाशिए पर होना है. 

बांग्लादेश में हिंदूओं की आबादी

बांग्लादेश की न्यूज वेबसाइट डेली स्टार के मुताबिक 2022 में बांग्लादेश की आबादी साढ़े सोलह करोड़ से कुछ ज्यादा थी. इसमें 7.95 फीसदी लोग हिंदू समुदाय के हैं. वहीं संख्या के हिसाब से हिंदुओं की संख्या एक करोड़, 31 लाख (13.1 मिलियन) है. बांग्लादेश में हिंदू समुदाय आबादी के मुताबिक दूसरे नंबर पर है. 

हिंदूओं का पलायन जारी

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक होने के कारण हिंदूओं को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं हिंदू समुदाय के काफी लोगों ने संपत्ति अधिनियम जैसे कानूनों की वजह से भूमि और संपत्ति खो दिया है. बता दें कि संपत्ति अधिनियम हिंदू स्वामित्व वाली भूमि के सरकारी विनियोग की अनुमति देता है. इससे लगभग 60 फीसदी हिंदू भूमिहीन हो गए हैं. 
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1964 के बाद से लगभग 11.3 हिंदुओं ने बांग्लादेश छोड़ दिया है. कुछ रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया गया है कि अगले तीन दशकों में बांग्लादेश में हिंदूओं की संख्या एक दम खत्म हो जाएगी. 

बांग्लादेश में हिंदू 

भारत की साल 1901 की जनगणना रिपोर्ट के आंकड़ों के हिसाब से उस समय संयुक्त भारत के एक प्रांत के तौर पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा थी. लेकिन 1947 में बंटवारे के बाद पूर्वी बंगाल के पाकिस्तान में चले जाने और फिर 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्र देश बनने के वक्त वहां के हिंदूओं की संख्या काफी कम हो गई थी और उन्हें निशाना बनाया गया था. 

विवादास्पद भूमि कानून

बांग्लादेश में साल 2021 तक एक विवादास्पद भूमि कानून लागू था. इसके तहत सरकार के पास यह अधिकार था कि वह दुश्मन संपत्ति को अपने कब्जे में ले सकती है. इस कानून के तहत बांग्लादेश की सरकार ने करीब 26 लाख एकड़ जमीन अपने कब्जे में लिया था. इस कानून से बांग्लादेश का करीब-करीब हर हिंदू परिवार प्रभावित हुआ था. 

निशाने पर हिंदू 

एक नए देश के रूप में बांग्लादेश के बनने के बाद से ही वहां पर अल्पसंख्यक हिंदू निशाने पर हैं. आरक्षण से शुरू हुए हिंसा ने बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को एक बार फिर से हिंदूओं पर हिंसा करने का मौका दे दिया था, यही कारण है कि कट्टपंथी जानबूझकर हिंदूओं को निशाना बना रहे हैं. 

ये भी पढ़ें: तख्तापलट होने के बाद कैसे बनती है सरकार? जानें किसे मिलती है गद्दी

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