Mysterious Doors In Indian: भारत में ऐतिहासिक इमारतें और मंदिरों से परिपूर्ण देश है. यहां बहुत सारी ऐतिहासिक इमारतें हैं.हालांकि, ऐसी कई स्मारकों और मंदिरों से कुछ रहस्यमयी राज भी जुड़े हुए हैं. देश में मौजूद कई ऐतिहासिक स्थल तो ऐसे भी हैं, जिनके कुछ दरवाजों को कई सालों से ही नहीं बल्कि कई सदियों से खोला नहीं गया है. इन दरवाजों को सील करने के पीछे कुछ गंभीर कारण माने जाते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताएंगे जिनके दरवाजे कई सालों से बंद हैं.


कुतुब मीनार का दरवाजा


कुतुब मीनार की गिनती दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में होती है. इस शानदार इमारत के निर्माण का काम कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू कराया था. हालांकि, ऐबक की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी इल्तुमिश ने इस काम को पूरा कराया था. इस इमारत का एक दरवाजा खुला हुआ था, जिसे बाद में बंद कर दिया गया था. बताया जाता है कि 4 दिसंबर 1981 में कुतुबमीनार के अंदर एक हादसा हुआ और अंदर भगदड़ मच गई. जिसकी वजह से करीब 45 लोगों की मौत हो गई. इसी वजह से यह दरवाजा आज तक नहीं खोला गया है.


ताजमहल के बंद दरवाजे


दुनियाभर में मशहूर आगरा स्थित ताज महल के 22 दरवाजे बंद हैं. पिछले साल यानी 2022 में इन्हें खोलने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी. इतिहास के जानकारों के अनुसार, आखिरी बार इन कमरों को 1934 में खोला गया था. कुछ सिद्धांतकारों का कहना है कि ताजमहल के बेसमेंट में कमरे मार्बल से बने हुए हैं. जब तहखाने में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है तो वो कैल्शियम कार्बोनेट में बदल सकती है, जिससे इस भाव स्मारक को नुकसान पहुंच सकता है. 


पद्मनाभस्वामी मंदिर का सांतवा दरवाजा


तिरुवनंतपुरम में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. इसे त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था. जब इस मंदिर के 6 दरवाजों को खोला गया तो सरकार को उसमें लगभग 1 लाख 32 हजार करोड़ का खजाना भारत मिला था. हालांकि, सातवां दरवाजा अभी तक नहीं खोला गया है. कहा जाता है कि एक बार किसी ने इसे खोलने की कोशिश की थी, तो उसे जहरीले सांप ने डस लिया था. माना जाता है कि इसकी रक्षा सांप करते हैं. लेकिन अब तक इसके रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है.


कोंणार्क सूर्य मंदिर का दरवाजा


कोंणार्क सूर्य मंदिर  रथ के आकार में बनाया गया ये मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है. यह मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला का एक अनूठा उदाहरण है. इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंहदेव ने करवाया था. कई आक्रमणों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण जब मंदिर खराब होने लगा तो 1901 में उस दौर के गवर्नर जॉन वुडबर्न ने जगमोहन मंडप के चारों दरवाजों पर दीवारें बनावा दीं और इसे पूरी तरह से रेत से भर दिया, ताकि ये सलामत रहे. इस काम में लगभग तीन साल का समय लगा और 1903 में ये पूरी तरह बंद हो गया.


दिगंबर जैन मंदिर का बंद दरवाजा


यह जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र बरासो में स्थित है. इस मंदिर का दरवाजा करीब 800 सालों से बंद था. जब इसे 2019 में खोला गया तो वहां कमरे के नीचे एक और कमरा बना हुआ था, जिसके अंदर लोगों के हाथ बहुत ही प्राचीन समय की कुछ चीजें लगी. इसके अंदर एक गुफा भी थी, जिसमें काफी कूड़ा-कचरा था.


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