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सिर्फ गाजर ही नहीं, भारत में फेमस है दाल, अंडा, मिर्च का हलवा! पढ़िए हलवे की मजेदार कहानी
Gajar ka Halwa: हलवा सर्दियों के फेवरेट फूड में से एक है. घर-घर में हलवा के दीवाने लोग मिल जायेंगे. मगर क्या आपने ये जाना कि आखिर हलवा कहां से आया..कैसे तैयार हुआ. आइए जानते हैं.
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Gajar ka Halwa: कुछ खाना केवल पेट भरने के वास्ते होता है और कुछ खाने से लोगों का इमोशन जुड़ा होता है जैसे कि गाजर का हलवा. हलवा सुनने में जितना लजीज लगता है खाने में भी उतना ही स्वादिष्ट. खासतौर पे गाजर का हलवा. सर्दी में शायद ही किसी ने गाजर का हलवा न खाया हो. गाजर के हलवे में भरपूर दूध के साथ ड्राई फ्रूट, मलाई और घी से जायके में कई गुणा इजाफा हो जाता है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर गाजर का हलवा कैसे तैयार हुआ और कहां से आया! तो आइए जायके के मंच से एक और पर्दा उठाते हैं और जानते हैं कि गाजर का हलवा कैसे आया साथ ही ये भी जानेंगे कि हिंदुस्तान में और कितने तरह का हलवा बनाया जाता है.
हलवे का इतिहास
हलीम शरर जो कि लखनऊ के लेखक और इतिहासकार रहे हैं उन्होंने अपनी किताब 'गुज़िश्ता लखनऊ में बताया है कि हलवा अरब के रास्ते फारस और वहां से फिर भारत में आया. वहीं शिकागो के इतिहासकार कोलीन टेलर ने अपनी किताब 'फीस्ट्स एंड फास्ट्स' में बताया है कि 13वीं और 16वीं शताब्दी के बीच मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में हलवा दिल्ली सल्तनत में आया था.
हलवा की पहली रेसिपी
इतिहासकारों की मानें तो हलवे की पहली रेसिपी मुहम्मद इब्न अल हसन इब्न अल करीम की लिखी अरबी किताब 'किताब अल-तबीख' (व्यंजनों की किताब) में मिलती है. जिसमें हलवे के 8 अलग-अलग रेसिपी का जिक्र है. अरबी में 'हलवा' मतलब मीठा या पकवान. यहां तक की उपमहाद्वीप में इसका ऐसा प्रभाव पड़ा है कि मिठाई वालों को 'हलवाई' के नाम से पुकारा जाने लगा.
इसे मिस्र में हलावा, यूनान में हलवा, हिब्रू में हलवाह, अरबी में हिलवा, तुर्की में हेलवा और संस्कृत में हलावा कहा जाता है. भारत के अलावा, पड़ोस के अरब देशों में हलवा खूब पसंद किया जाता है.
मुगलों से हलवा मुगलों की खोज
दिल्ली सल्तनत के बाद जब भारत में मुगलों का शासन आया तो खाने-पीने के कल्चर का खूब विस्तृत विकास हुआ. मीठे में तमाम तरह के हलवे के साथ गाजर डालकर प्रयोग किया गया. मुगल काल में ही भारत में तरबूज-अनार-अंगूर के साथ-साथ गाजर आया.
गाजर को जब दूध, चीनी, खोया के साथ पकाया गया तो गाजर का हलवा बन गया. पंजाब में बस इसी नाम से गजरेला भी लोकप्रिय हो गया, जिसे वहां कि पारंपरिक मिठाई कहते हैं.
हिन्दुस्तान में हलवे की डाइवर्सिटी
भारत में हलवे के साथ लगातार प्रयोग होता रहा और यहां के क्रिएटिव लोग गाजर या मूंग के हलवे तक ही नहीं रुके.
भारतीय किचन में सूजी, आटा , गाजर के हलवा के अलावा, पुणे से 'हरी मिर्च का हलवा', पश्चिम बंगाल से 'चोलर दाल हलवा', उत्तर प्रदेश और बिहार से 'अंडा हलवा', कर्नाटक से 'काशी हलवा' (सफेद कद्दू का हलवा), केरल से 'करुठा हलवा' जैसे कई तरह का हलवा चलन में है जो कि पूरे भारत में खूब पसंद किया जाता है.
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