Water Waste On Holi: रंगों का त्योहार यानी होली के आते ही सबके मन में पानी, रंग के साथ की जाने वाली मस्ती आती है. होली के त्योहार पर सबसे ज्यादा पानी इस्तेमाल होता है. भले ही होली से पहले ये काफी शेयर किया जाता है कि पानी का इस्तेमाल कम करना चाहिए और पानी का उपयोग काफी कम करने के लिए कहा जाता है.


दरअसल, होली खेलने में तो पानी का इस्तेमाल होता ही है, यहां तक कि होली खेलने के बाद शरीर से रंगों को हटाने के लिए भी बहुत पानी खर्च होता है. होली खुशियों के त्योहार के साथ-साथ पानी की बर्बादी का त्योहार भी बनता जा रहा है. 


कितना पानी होता है बर्बाद ?


होली के दिन बर्बाद होने वाले पानी का आंकड़ा काफी डराने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक, होली खेलने में एक व्यक्ति कम से कम दो बाल्टी पानी का इस्तेमाल करता है. इसका मतलब है कि लगभग 30 लीटर पानी खर्च किया जाता है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर 5,00,000 लोग पानी से होली खेलते हैं तो करीब 150 लीटर पानी बर्बाद हो जाएगा जो कि बहुत बड़ी मात्रा है. 


क्या-क्या है रंग मिले पानी के नुकसान ? 


आपको बता दें कि रंग मिला पानी बहुत नुकसानदायक भी हो सकता है. 


1- केमिकल युक्त रंगों के पानी में मिलने से त्वचा और शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है. कई बार तो कई दिनों तक रंग शरीर से निकलते भी नहीं है. 


2- होली खेलने के बाद की गई सफाई से जो पानी निकलता है , वह केमिकल युक्त पानी नदी में मिलकर उसे दूषित करता है. 


3- कई बार हानिकारक केमिकल वाले रंगों को पानी में मिलाकर इस्तेमाल करने से लोगों को स्किन एलर्जी भी हो जाती है. 


क्या है इसका समाधान? 


हमें उन इलाकों के बारे में भी सोचना चाहिए जहां पानी की भारी कमी देखने को मिलती है. होली के दिन कम से कम पानी का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आने वाले समय में पानी की कमी ना हो. साथ ही अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करना चाहिए कि होली खुशियों और रंगों का त्योहार है, पानी बर्बाद करने का नहीं. अगर इस होली के त्योहार पर सभी सूखी होली खेलने का संकल्प लें तो बहुत पानी बचाया जा सकता है.


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