जीवन में हर इंसान का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो. लेकिन क्या आपने सोचा है कि कोई इंसान अपने सपने को पूरा करने के लिए महज 6 गज में तीन मंजिला मकान बनवा देगा. जी हां, सिर्फ 6 गज में तीन फ्लोर का मकान दिल्ली में है. जानिए आखिर किसने और क्यों इतने कम जगह में घर बनाया है. 


6 गज का मकान


आम इंसान शायद ही कल्पना कर पाएगा कि कोई शख्स 6 गज जमीन में भी तीन मंजिला मकान खड़ा कर सकता है? वहीं ऐसी बिल्डिंग में पांच सदस्यों का परिवार रह भी सकता है? बता दें कि किसी इंजीनियर ने नहीं बल्कि ये कमाल बिहार के एक साधारण राजमिस्त्री ने कर दिखाया है. दिल्ली में छह गज जमीन पर बने इस मकान की कहानी बड़ी रोचक है. 


कहां पर है ये घर


दिल्ली के बुराड़ी इलाके में छह गज जमीन पर घर बनाने का आइडिया दरअसल एक राजमिस्त्री का था. बिहार के मुंगेर जिले का रहने वाला उस शख्स की कारीगरी की तारीफ कर सकते हैं. ऐसा क्या हुआ कि उस राजमिस्त्री को 6 गज के प्लॉट में तीन मंजिला मकान खड़ा करने का आइडिया आया, यह कहानी दिलचस्प है. जानकारी के मुताबिक जिस जमीन पर आज यह इमारत खड़ी है, वह उसी राजमिस्त्री की थी, जिसे उसने बाद में बेच दिया था. निर्माण के कुछ ही दिनों बाद यह अजूबा घर बेचकर भी वह कहीं चला गया था.


दिल्ली में ये घर


दिल्ली के बुराड़ी मेन रोड से जब संत नगर मेन मार्केट के आखिरी हिस्से में पहुंचते हैं, तो वहां पर किसी से भी आप पूछेंगे कि 6 गज जमीन वाला घर तो वो लोग बता देंगे. जब आप घर के पास पहुंचेंगे तो इस मकान को देखकर कारीगर की तारीफ न करें, ऐसा हो नहीं सकता. यहां आने वाला हर शख्स कारीगर की तारीफ करते नहीं थकता. लेकिन, इस मकान को बनाने वाला अब इस इलाके में नहीं रहता है. 


किसने बनाया घर 


मीडिया से बातचीत में इस अजूबे कारीगर के बारे में स्थानीय लोगों ने बताया कि मकान बनाने वाला एक मजदूर था, जो बाद में राजमिस्त्री (मकान बनाने वाला कारीगर) बन गया था. वह इलाके के ही एक ठेकेदार के यहां नौकरी करता था. उस ठेकेदार का काम था, इलाके की जमीन की प्लॉटिंग करके और फिर बेच देना. जिस जमीन पर यह मकान है, वहीं से गली नंबर 65 के लिए रास्ता निकलना था. इसलिए रास्ता निकलने के बाद कोने की 6 गज जमीन बच गई थी. उस कारीगर ने ठेकेदार से 6 गज जमीन का यह हिस्सा अपने नाम करवा लिया था.


मकान का आर्किटेक्ट 


ठेकेदार ने उस समय कारीगर को एक लाख रुपये में जमीन बेची थी, जिस पर उस राजमिस्त्री ने अजूबा इमारत खड़ी कर दी है. इस इमारत के ग्राउंड फ्लोर से ही पहली मंजिल पर जाने का रास्ता निकलता है और ग्राउंड फ्लोर पर ही सीढ़ियों से सटा एक बाथरूम भी है. 


ग्राउंड फ्लोर से ऊपर चढ़कर जब आप पहली मंजिल पर जाएंगे, तो एक बेड रूम और उससे सटा बाथरूम नजर आएगा. बेडरूम से ही दूसरी मंजिल के लिए रास्ता निकाला गया है. पहली मंजिल पर पहुंचते ही एक बेड आपको नजर आएगा. उस बेड को इस मकान के पहले मालिक ने कमरे के अंदर ही बनवाया था. तब से अब तक बेड उसी जगह पर है. ये मकान तिकोने आकार का है. यानी दरवाजे से शुरू होकर अंत तक जाते-जाते दीवारें त्रिभुज की तरह जुड़ जाती हैं.


मकान बेच दिया


पवन कुमार उर्फ सोनू इस मकान के मौजूदा मालिक हैं. सोनू के मुताबिक इस मकान को उन्होंने 6-7 साल पहले अरुण कुमार नाम के एक शख्स से खरीदा था. अरुण कुमार बिहार के मुंगेर जिले का रहने वाला था और पेशे से वह कारीगर था. उसने खुद के रहने के लिए मकान बनाया था, लेकिन कर्ज के तले इतना दब गया कि उसे मौजूदा मकान मालिक को यह घर बेचना पड़ा था.


ये भी पढ़ें: महिलाओं के खिलाफ अपराध में कौन से नंबर पर आता है पश्चिम बंगाल?