Dog Ownership Rules: कुत्ता सबसे वफादार जानवर और इंसान का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है, लेकिन कभी - कभी कुत्ते लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं. क्या इससे लोगों को उन्हें प्रताड़ित करने का हक मिलता है? अगर आपको भी यही लगता है तो बता दें कि ऐसा करना कानूनी अपराध है.


बीते दिनों से पालतू और आवारा कुत्तों को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है, मामला इतना गरम है कि सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. संविधान ने आम लोगों की तरह कुत्तों को भी जीने और भोजन पाने का अधिकार दिया है. अगर आप कुत्ते को प्रताड़ित करते हैं तो आपको इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है और मामला क्रूरता या कुत्ते की हत्या का हुआ तो पांच साल जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है. आइए जानते हैं उन कानूनों के बारे में जो कुत्तों को सम्मान से जीने का अधिकार देते हैं.


मूल निवासी होने का अधिकार


संविधान में पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम 1960 में समय-समय पर संशोधन होते रहते हैं. 2002 में हुए संशोधन के अनुसार आवारा कुत्तों को भी देश का मूल निवासी माना गया है.


कुत्ता विषैला हुआ तब भी मारना अपराध


कुत्ता विषैला है तो तब भी उसे मारा नहीं जा सकता. इसके लिए पशु कल्याण संगठन से संपर्क करना होगा.


जीने का अधिकार


पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 428 और 429 के तहत अगर कोई आवारा कुत्ते के साथ क्रूरता करता है, या उसे मारता है या फिर कुत्ता अपंग हो जाता है पांच साल तक की सजा हो सकती है.


जहां से पकड़ा वहीं छोड़ना होगा


एंटी बर्थ कंट्रोल कानून 2001 के तहत कुत्तों की आबादी पर लगाम के लिए नगर निगम-पशु कल्याण संस्था या कोई एनजीओ (NGO) यदि किसी आवारा कुत्ते को गली-मोहल्ले से पकड़ती है, तो बंध्याकरण के बाद वहीं छोड़ना होगा, ऐसा न करना अपराध है.


भूखा और बांधकर रखने पर भी सजा


यदि किसी कुत्ते को लंबे समय तक बांधकर रखा जाता है या उसे भोजन नहीं दिया जाता है तो पशु क्रूरता अधिनियम के तहत संबंधित व्यक्ति को तीन माह तक की जेल हो सकती है.


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