Earthquake: जानवरों को पहले ही कैसे पता चल जाता है कि भूकंप आने वाला है?
Animals Prediction Earthquakes: भूकंप का अनुमान न लगा पाना एक बड़ी समस्या है. हालांकि, धरती पर पाए जाने वाले कई जानवर भूकंप का पूर्वानुमान लगा लेते हैं.
Earthquake Prediction by Animals: इन दिनों भारत सहित दुनियाभर के कई इलाकों में भूकंप की घटनाएं लगातार देखने को मिल रही है. पृथ्वी के अंदर की इंडियन प्लेन और यूरेशियन प्लेट के टकराव के चलते बीते कुछ सालों में भूकंप की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है. इन प्लेटों के टकराव के कारण हिमालय क्षेत्र में नए पर्वतों का निर्माण भी हो रहा है. भूकंप की घटनाओं के चलते दुनियाभर के कई देशों में लोगों की जान भी गई है. भूकंप एक अचानक होने वाली घटना है. इससे कुछ ही सेकेंड में सबकुछ बर्बाद हो जाता है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि भूकंप आने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. अभी तक कोई ऐसा यंत्र भी नहीं बनाया जा सका है जो अनुमान लगा सके कि भूकंप आने वाला है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुछ जानवर ऐसे भी हैं जिन्हे भूकंप आने से कुछ समय पहले ही इसके आने का एहसास हो जाता है? आइए जानते है वो कौन से जानवर हैं और उन्हें इसका आभास आखिर होता कैसे है?
जानवर लगा लेते हैं भूकंप का अनुमान
जापान जैसे देश भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित रहते हैं. भूकंप का अनुमान न लगा पाना एक बड़ी समस्या है. हालांकि, धरती पर पाए जाने वाले कई जानवर भूकंप का पूर्वानुमान लगा लेते हैं. भूकंप आने से कुछ क्षण पहले ही धरती पर मौजूद कुत्ते, बिल्ली, मेढक, मछलियां और सांपों को इसका एहसास हो जाता है. कई रिसर्च में यह बात खुलकर आई है कि इन जानवरों को कुछ सेकेंड पहले ही भूकंप का एहसास हो जाता है और इस वजह से उनकी गतिविधियों में भी अंतर आता है. कहा जाता है कि भूकंप से पहले इन जानवरों को होने वाले एहसास के चलते ये बेचैन हो जाते हैं और कुछ तो अजीब हरकतें भी करने लगते हैं.
रिसर्च के अनुसार, कई बार ऐसा देखा गया है कि भूकंप से कुछ देर पहले ही मेंढक तालाब से निकलकर बाहर आ गए. ऐसे ही कुछ मामलों में भूकंप से पहले सांप भी अपने बिल से बाहर आ गए. मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल बिहैवियर ने जानवरों पर भूकंप का असर समझने के लिए रिसर्च भी की थी. इस रिसर्च में जानवरों के शरीर पर सेंसर लगाए गए और भूकंप को लेकर उनकी गतिविधि समझी गई. रिसर्च में सामने आया कि भूकंप आने से कुछ घंटे पहले ही कई जानवरों में बेचैनी बढ़ गई थी.
जानवरों की गतिविधि में देखा गया बदलाव
रिसर्च में ऐसा देखा गया कि जानवर अपने रहने की जगहों से, पक्षी अपने घोसलों से और पालतू जानवर अपने बाड़ों से बाहर आ जाते हैं. जानवरों में एक तरह की बेचैनी देखी जाती है. हालांकि, रिसर्च का समय और ऑब्जर्वेशन काफी सीमित रहते हैं इसीलिए कई वैज्ञानिक इस बात पर 100 फीसदी सहमत भी नहीं होते हैं. वहीं, दूसरी तरफ रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने कई तरीकों से इस बात को साबित भी किया है.
सूंघने की क्षमता
मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट की रिसर्च कहती है कि भूकंप आने से पहले पत्थरों पर दबाव पड़ने से हवा में कुछ आयन घुल जाते हैं. जानवरों को उनकी त्वचा और रोएं से इन आयनों का पता चल जाता है. इसके अलावा, कुछ जानवर भूकंप से पहले क्वार्ट्ज क्रिस्टल से निकलने वाली गैसों को सूंघने में सक्षम होते हैं और उन्हें इस अनहोनी का एहसास हो जाता है.
सुनने की शक्ति
वेटनरी एक्सपर्ट डॉ. रीटा गोयल कहती हैं कि जानवरों की सुनने की शक्ति इंसानों के मुकाबले ज्यादा होती है, इसलिए वो भूकंप की कंपन को महसूस कर लेते हैं और झटकों से होने वाले कंपन को बेहतर सुन सकते हैं. इसके अलावा, आमतौर पर ऐसे जानवर ज़मीन पर होते हैं. उनकी त्वचा धरती से सीधे संपर्क में होती है इसलिए धरती में होने वाली इस कंपन का एहसास उन्हे जल्दी हो जाता है.
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