ट्रेन हादसे, खासकर डिरेलमेंट, न केवल यात्रियों और माल के लिए बल्कि रेलवे संचालन के लिए भी एक बड़ी चुनौती होते हैं. जब एक ट्रेन पटरी से उतर जाती है, तो उसे वापस पटरी पर लाने के लिए एक जटिल और कुशल ऑपरेशन की जरुरत होती है. इस प्रक्रिया में कई कारक शामिल होते हैं, जैसे कि डिरेलमेंट की गंभीरता, ट्रेन की लंबाई और वजन, मौसम की स्थिति और उपलब्ध संसाधन. ऐसे में चलिए जानते हैं कि यदि कोई ट्रेन डिरेल हो जाती है तो उसके कोच फिर पटरी पर कैसे चढ़ाए जाते हैं.


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डिरेलमेंट के बाद क्या होता है?


डिरेलमेंट के बाद सबसे पहले रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाता है. घायलों को निकाला जाता है, मृतकों को बरामद किया जाता है और खतरे को कम करने के लिए सभी जरुरी कदम उठाए जाते हैं. इसके बाद डिरेलमेंट के कारणों की जांच शुरू होती है. यह जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त या अन्य संबंधित एजेंसियों द्वारा की जा सकती है. फिर एक बार जब इलाका सुरक्षित हो जाता है, तो डिरेल हुए कोचों को पटरी से हटाने का काम शुरू होता है.


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डिरेल होने के बाद ट्रेन के कोच को फिर पटरी पर कैसे चढ़ाया जाता है?


कोचों को पटरी पर चढ़ाने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं.


क्रेन का उपयोग: यह सबसे आम तरीकों में से एक है. एक बड़ी क्रेन का उपयोग करके डिरेल हुए कोच को उठाया जाता है और फिर से पटरी पर रखा जाता है.


हाइड्रॉलिक जैक: हाइड्रॉलिक जैक का उपयोग करके कोच को धीरे-धीरे उठाया जाता है और फिर पटरी पर रखा जाता है.


लेवलिंग जैक: लेवलिंग जैक का उपयोग करके कोच को समतल किया जाता है और फिर इसे पटरी पर धकेला जाता है.


ट्रेन का उपयोग: कभी-कभी एक और ट्रेन का उपयोग करके डिरेल हुए कोच को खींचकर पटरी पर लाया जाता है.


एयर बैग्स: कुछ मामलों में, एयर बैग्स का उपयोग करके कोच को उठाया जाता है और फिर पटरी पर रखा जाता है.


ये परेशानियां आती हैं सामने


कोचों को पटरी पर चढ़ाने के दौरान कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं. जैसे डिरेलमेंट के बाद जितनी जल्दी हो सके कोचों को पटरी से हटाना जरुरी होता है ताकि रेलवे लाइन को फिर से चालू किया जा सके. इसके अलावा इस प्रक्रिया में सुरक्षा का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. साथ ही इस काम के लिए विशेष उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होती है और खराब मौसम इस प्रक्रिया को और अधिक कठिन बना सकता है.


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