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अमेरिका में कैसे साफ किए जाते हैं ड्रेन, क्या वहां भी भारत की तरह सीवर में उतरते हैं मजदूर

भारत में सीवर साफ करने के दौरान कई मजदूरों की मौत हो जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर अमेरिका में ड्रेन की सफाई कैसे होती है.

भारत में सीवेज की सफाई एक बड़ी समस्या है. भारत में ड्रेनेज की सफाई के दौरान कई लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं. जो न केवल खतरनाक है बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है. हालांकि अमेरिका में इस काम को करने का तरीका बिल्कुल अलग है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर अमेरिका में ड्रेन की सफाई कैसे की जाती है.

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अमेरिका में कैसे होती है सीवेज की सफाई?

अमेरिका में सीवेज की सफाई के लिए तकनीक का बड़े स्तर पर उपयोग होता है. यहां इंसानों द्वारा सीवेज में घुलकर की जाने वाली सफाई को कम से कम करने और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपकरण और मशीनें मौजूद हैं. चलिए जानते हैं अमेरिका में किन मशीनों को उपयोग कर होती है ड्रेन की सफाई?

हाइड्रो जेटिंग: इस प्रोसेस में उच्च दबाव वाले पानी का उपयोग करके ड्रेनों की सफाई की जाती है. यह न केवल तेल, ग्रीस और गंदगी को हटाता है बल्कि पाइपों को भी साफ करता है.

इलेक्ट्रिकल क्लीनिंग: इस प्रोसेस में इलेक्ट्रिकल केबल्स का उपयोग करके ड्रेनों को साफ किया जाता है. ये सफाई में आने वाली परेशानियों को कम करता है.

रोबोटिक सिस्टम: कुछ कंपनियां रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करती हैं जो ड्रेनों की सफाई खुद ही कर सकते हैं. ये रोबोट कैमरे और सेंसर से लैस होते हैं जो ड्रेन की स्थिति की निगरानी करते हैं और परेशानियों को पहचानते हैं.

सुरक्षा का रखा जाता है ध्यान

अमेरिका में ड्रेन सफाई को एक खतरनाक काम माना जाता है और इसलिए सुरक्षा पर बहुत ध्यान दिया जाता है. ड्रेन सफाई करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाते हैं जैसे कि जूते, दस्ताने, हेलमेट और चश्में. इसके अलावा, उन्हें खुद को सुरक्षित रखने के लिए ट्रेनिंग भी दी जाती है.

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भारत और अमेरिका में सीवेज की सफाई में क्या है अंतर?

अमेरिका में तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है जबकि भारत में अभी भी कई जगहों पर मानव श्रम का उपयोग किया जाता है. साथ ही अमेरिका में ड्रेन सफाई के लिए कड़े सुरक्षा नियम हैं जबकि भारत में बनाए गए नियमों का पालन हमेशा नहीं होता. इसके अलावा अमेरिका में ज्यादातर लोग ड्रेन सफाई का काम नहीं करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें बेहतर नौकरियां मिल सकती हैं. वहीं भारत में कई लोगों के पास कोई नौकरी नहीं होती, इसलिए उन्हें ये काम करना पड़ता है.

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