मान्यता है कि किन्नरों की दुआओं में बड़ी शक्ति होती है. यही कारण है कि घर में किसी भी शुभ काम के दौरान किन्नर जरूर आते हैं. कोई त्योहार, शादी, बच्चे का जन्म या किसी अन्य खुशी के मौके पर वे अपना आशीर्वाद देने आते हैं और जश्न मनाते हैं. उस समय बहुत से लोग उनकी मांग पूरी करते हैं, लेकिन कुछ लोग उन्हें भगा भी देते हैं. हमारे समाज में किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया है. कई लोगों को उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी ये खास बात पता नहीं होती है. आइए जानते हैं.


आम लोगों से अलग हैं उनके तरीके


किन्नरों के जीवन-शैली और अंतिम संस्कार तक उनकी प्रथाएं अनूठी होती हैं. उनके पास आध्यात्मिक शक्ति मानी जाती है, जिसके कारण उन्हें मौत का आगाज पहले से ही हो जाता है. कहा जाता है कि जब भी किन्नर की मृत्यु होती है, तो वे यात्रा आने-जाने से बंद कर देते हैं. वे अपनी मौत के आगाज पर खाना भी नहीं लेते, बल्कि केवल पानी पीते हैं और ईश्वर से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए दुआएं करते हैं कि अगले जन्म में वे किन्नर न बनें.


क्या सही में चप्पलों से पीटा जाता है?


माना जाता है कि किन्नरों की शव यात्रा रात में होती है. उन्हें जलाने की बजाय उनका दफ़नाना पसंद किया जाता है. शव को सफेद कपड़ों में लपेटा जाता है, ध्यान रखते हुए कि शव किसी बंधन से मुक्त रहे, ताकि आत्मा स्वतंत्र महसूस कर सके. वे इस तरह के रिवाजों को पूरे करने के लिए देर रात में शव यात्रा निकालते हैं. इनके समुदाय के लोग शव को जूते और चप्पलों से पीटते हैं ताकि माना जाता है कि दिवंगत किन्नर को अगले जन्म में किन्नर नहीं बनना पड़े. शव के पास खड़े होकर, वे अपने देवता को धन्यवाद देते हैं और दान-पुण्य भी करते हैं.