आज के समय में पुरानी फिल्मों को री-रिलीज करने का ट्रेंड चल गया है. जहां वीर जारा, तुम्बाड़, लैला मजनू, राजा बाबू, रॉकस्टार, हम आपके हैं कौन, सोले, घिल्ली जैसी फिल्मों को री-रिलीज करके अच्छी खासी कमाई की जा रही है. देश भर में 100 से ज्यादा मल्टीप्लेक्स चलाने वाले आईनॉक्स (inox) और आईमैक्स (IMAX) की रिपोर्ट के अनुसार, अब सिनेमाघरों में दर्शक कम हो रहे हैं. ऐसे में पुरानी फिल्मों का टिकट प्राइज कम होता है और उन्हें देखने ज्यादा दर्शक आते हैं. ऐसे में उनके जरिये कुछ कमाई भी हो जाती है, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इन फिल्मों से जो कमाई होती है उसका पैसा किसके पास जाता है? चलिए इस सवाल का जवाब जान लेते हैं.
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फिल्मों को दोबारा क्यों जा रहा है रिलीज?
कई बार ऐसी फिल्में जो रिलीज के समय उतनी सफल नहीं होती, बाद में किसी कारणवश हिट हो जाती हैं. जैसे कि फिल्म के गाने या उनके सीन का वायरल होना या फिर फिल्म की कहानी में लोगों का इंटरेस्ट बढ़ना. ऐसे में निर्माता सोचते हैं कि फिल्म को फिर से रिलीज किया जाए ताकि उसकी कमाई बढ़ सके. इसके अलावा कभी-कभी फिल्मों को खास मौकों पर या जश्न के रूप में दोबारा रिलीज किया जाता है. जैसे किसी एक्टर या निर्देशक की सालगिरह पर या फिर किसी खास तारीख पर या फिर फिल्म को फिर से सिनेमा हॉल में दिखाने के उद्देश्य से. साथ ही कई फिल्में नई तकनीकों जैसे 3D, IMAX, या Dolby Atmos के साथ दोबारा रिलीज होती हैं. इससे दर्शकों को एक नया अनुभव मिलता है और फिल्म को एक नई जिंदगी मिलती है.
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री-रिलीज से टिकट की कमाई से मिले पैसे किसे मिलते हैं?
फिल्म की कमाई का बंटवारा कई हिस्सों में होता है. फिल्म की सबसे बड़ी कमाई निर्माता और वितरक को जाती है. निर्माता फिल्म का निर्माण करता है और वितरक इसे सिनेमा हॉल्स में बेचते हैं. दोनों को इनकम का बड़ा हिस्सा मिलता है. इसके अलावा सिनेमा हॉल के मालिक भी फिल्म की टिकट बिक्री से अपना हिस्सा मिलता है. हालांकि, यह हिस्सा निर्माता और वितरक के साथ सहमति के आधार पर तय होता है. आमतौर पर बंटवारा 50-50 या 60-40 का होता है. साथ ही फिल्म की कमाई का कुछ हिस्सा मर्चेंडाइज, साउंडट्रैक और अन्य अधिकारों से भी आता है. जैसे अगर फिल्म का संगीत बेचा जाता है, तो उसका कुछ हिस्सा भी निर्माता और वितरक को जाता है.
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