इजरायल और हमास का युद्ध अभी भी जारी है. 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से ही इजरायल गाजा पट्टी पर पूरी तरह से टूट पड़ा है. इजरायल ने कुछ दिनों में वहां इतने बम बरसाए हैं कि पूरा शहर ही शमसान बन गया है. इजरायल का कहना है कि वो ये हमले तभी बंद करेगा जब हमास पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. इजरायल का इतना घातक पलटवार देख कर दुनिया में कई लोग सोच रहे हैं कि हर तरफ से अरब देशों से घिरा ये छोटा सा देश कैसे इतनी शक्ति दिखा रहा है.
यहूदी कैसे बने मजबूत?
इजरायल बनने के बाद जो यहूदी आपको मजबूत दिखाई दे रहे हैं, एक समय ऐसा था कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सताए जाने वाली कौम यहूदी ही थी. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों का कत्लेआम हुआ. युरोप के ज्यादातर हिस्सों में उन्हें जानवरों से भी बदतर तरीके से मारा गया. इस होलोकास्ट ने उन्हें एक होने पर मजबूर किया और फिर पूरी दुनिया के इजरायलियों ने फैसला किया कि वो अपना एक देश बनाएंगे और सबसे सताई कमौ की बजाय सबसे मजबूत कौम बनेंगे.
दिमाग और शरीर दोनों से ताकतवर
यहूदी दिमाग से हमेशा से तेज रहे हैं. यही वजह है कि आज भी हर क्षेत्र में ये कौम आपको सबसे ऊपर मिलेगी. यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन भी यहूदी थे. इनके पास दिमाग हमेशा से था, लेकिन एक जुटता और शारीरिक बल की कमी थी. यहूदियों का एक अलग देश इजरायल बनने के बाद ये कमी भी पूरी हो गई. यहां उन्होंने अपने हर नागरिक को मजबूत बनाया. ज्यादातर युवाओं को सेना कि ट्रेनिंग दी और उन्हें इस काबिल बनाया कि वो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें.
मोसाद का भी है अहम रोल
इजरायल की ताकत के पीछे उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद का भी अहम रोल है. मोसाद यानी, हामोसाद लेमोदी इन उलेताफ़ाकिदिम मेयुहादिम की स्थापना 1949 में की गई थी. इजरायल के लिए दुनियाभर में इस एजेंसी ने ऐसे ऐसे कारनामे किए हैं आप सुनकर हैरान हो जाएंगे. कहा जाता है कि आज के समय में इजरायल के हर दोस्त और दुश्मन देशों में इसके एजेंट हैं. ये एजेंट इतने ऊंचे पदों पर है कि इजरायल सिर्फ इनकी मदद से किसी भी देश को घुटनों पर ला सकता है.
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