पाकिस्तान और ईरान के बीच के रिश्ते सदियों पुरानी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर पर आधारित हैं. दोनों देश इस्लामी गणतंत्र हैं और उनकी सीमाएं एक दूसरे से मिलती हैं. लेकिन इन रिश्तों की जड़ें केवल धार्मिक या सांस्कृतिक समानता में नहीं हैं. बल्कि इनका आधार भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों पर भी है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि दोनों देशों के बीच हमेशा से क्या संबंध रहे हैं.


क्या है इतिहास


पाकिस्तान और ईरान के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से अच्छे रहे हैं. दोनों देशों में शिया मुस्लिमों की बड़ी आबादी है, जो एक सांस्कृतिक और धार्मिक समानता को दर्शाता है. इसके अलावा, ईरान और पाकिस्तान का साझा इतिहास, व्यापारिक संबंध और सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने भी उनके बीच संबंधों को मजबूत किया है.


कैसे हैं दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध


पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान और ईरान ने आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार समझौतों में वृद्धि हुई है और ईरान से गैस और ऊर्जा परियोजनाओं पर चर्चा चल रही है. पाकिस्तान की जरूरतें और ईरान की क्षमताएं इन रिश्तों को और मजबूत बनाने का एक बड़ा कारण हैं. दोनों देशों के बीच गैस पाइपलाइन परियोजना, जिसे 'IPEX' कहा जाता है, इसका एक खास उदाहरण है.


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सुरक्षा और राजनीतिक चुनौतियां


हालांकि आर्थिक सहयोग में वृद्धि के बावजूद सुरक्षा से जुड़े मुद्दे दोनों देशों के रिश्तों में एक बड़ी चुनौती हैं. पाकिस्तान की सीमाओं पर आतंकवाद और अवैध गतिविधियों की वजह से तनाव पैदा होता है. ईरान ने पाकिस्तान पर अपने क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने का दबाव डाला है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है. इसके अलावा, ईरान की क्षेत्रीय नीतियों और पाकिस्तान के अपने सुरक्षा संबंधों के कारण भी मतभेद उत्पन्न होते हैं.


क्या कभी सुधर सकते हैं रिश्ते?


पाकिस्तान और ईरान के रिश्तों का भविष्य विभिन्न कारकों पर निर्भर करेगा, जिसमें क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक सहयोग, और सुरक्षा मामलों में सहयोग शामिल हैं. दोनों देशों को अपनी सीमाओं पर सुरक्षा सुनिश्चित करने और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की आवश्यकता है. साथ ही, अगर वे अपने आर्थिक संबंधों को और मजबूत करते हैं, तो यह उनके रिश्तों को स्थिरता प्रदान कर सकता है.


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पाकिस्तान इजरायल पर कभी परमाणु हथियार छोड़ सकता है?
पाकिस्तान और इजरायल के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं, और पाकिस्तान ने हमेशा इजरायल के खिलाफ एक मजबूत रुख अपनाया है. हालांकि, पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का उपयोग करने की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय दबाव, क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति और संभावित परिणाम.


पाकिस्तान का परमाणु अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए है, खासकर भारत के संदर्भ में, इजरायल के खिलाफ किसी भी प्रकार की आक्रामकता, विशेष रूप से परमाणु हथियारों का उपयोग, गंभीर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को जन्म दे सकता है.


इसलिए, हालांकि तकनीकी रूप से संभव है, ऐसा कदम उठाने की संभावना अत्यंत कम है, क्योंकि इसके गंभीर राजनीतिक और मानवतापूर्ण परिणाम हो सकते हैं. पाकिस्तान की नीति आमतौर पर संयमित रहने की रही है, और किसी भी प्रकार की परमाणु आक्रामकता को अंतिम उपाय के रूप में ही देखा जाएगा.


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