कैसे तैयार होते हैं टेस्ट ट्यूब बेबी, पूरे प्रोसेस में इतने चरण होते हैं
Test Tube Baby: माता-पिता बनने की इच्छा हर कपल की होती है, लेकिन कुछ कपल ऐसे होते हैं जिन्हें बच्चे पैदा करने में कई दिक्कतें आती हैं. ऐसे में ये कपल टेस्ट ट्यूब बेबी का सहारा ले सकते हैं.
Test Tube Baby: आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जिसे आम भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जाना जाता है एक आधुनिक तकनीक है. इस तकनीक की मदद से पुरुष के स्पर्म और महिला के एग्स का फर्टिलाइजेशन लैब में कराया जाता है. फिर उसमें बनने वाले एम्ब्रयो (भ्रूण) को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है.
कुदरती तौर पर अंडों के फर्टिलाइजेशन वाली प्रक्रिया महिला के गर्भाशय की फैलोपियन नलिका फैलोपियन ट्यूब में की जाती है. कई बार कुदरती तौर पर फर्टिलाइजेशन नहीं होता है. इसलिए आईवीएफ का का सहारा लेना पड़ता है. आईवीएफ के तीन चरण होते हैं.
आईवीएफ कैसे किया जाता है
प्रथम चरण
महिला की ओवरी में अंडों की ग्रोथ को बढ़ाया जाता है. प्राकृतिक तौर पर महिला के ओवरी में कई सारे डेवलप्ड अंडे होते हैं. उन्हे ऊसाइट्स कहा जाता है. हर महीने एक अंडा डेवलप हो कर बाहर निकालता है. आईवीएफ के लिए सुई और दवाएं देकर एक बार में ज्यादा अंडे को डेवलप कर करके उसे मेच्योर करते हैं. इसके बाद अंडों को महिला के शरीर से बाहर निकालते हैं.
दूसरा चरण
इस चरण में पुरुष के स्पर्म को और महिला के एग को टेस्ट ट्यूब के अंदर फर्टिलाइज किया जाता है.
तीसरा चरण
तीसरे चरण में एंब्रियो या भ्रुण ट्रांसफर होता है. फर्टिलाइजेशन के बाद जो एंब्रियो या भ्रूण तैयार होता है उसके चौथे या पांचवें दिन महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है.
कौन लोग टेस्ट ट्यूब का सहारा ले सकते हैं
अंडाशय में अंडों की कमी या गुणवत्ता में कमी होने पर
फेलोपियन ट्यूब के बंद होने पर
पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या में कमी होने पर
अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी मतलब, ऐसे कपल जो बहुत सालों से इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं. उनके सारे टेस्ट नॉर्मल आने के बावजूद वो कंसीव नहीं कर पा रहे या ऐसे कपल जिनके सारे ट्रीटमेंट फेल हो चुके हैं, वो कपल टेस्ट ट्यूब बेबी का सहारा ले सकते हैं.
ये भी पढ़ें: कहां है दुनिया की सबसे छोटी जेल? यहां से ज्यादा लोग तो एक कमरे में रहते हैं