पहाड़ों में कैसे बनती है टनल, समझिए इसके पीछे का साइंस
सफर के दौरान आप कई बार छोटे-बड़े टनल से होकर गुजरते होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहाड़ों में टनल कैसे बनते हैं और टनल बनाने के लिए किस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
ट्रेन और कार से पहाड़ों में लंबे सफर के दौरान आपने कई लंबे और छोटे टनल से अपना सफर को पूरा किया होगा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पहाड़ों में टनल कैसे बनती है? आज हम आपको बताएंगे कि पहाड़ों को किन तकनीकों के जरिए काटकर टनल बनाया जाता है.
टनल
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला विस्फोट किया था. इस प्रोजेक्ट के तहत यहां दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग 15,800 फीट की ऊंचाई पर बनेगी. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर पहाड़ों की इतनी ऊंचाई पर टनल कैसे बनता है और इसका निर्माण कैसे होता है. क्योंकि पहाड़ों को काटकर टनल बनाना आसान नहीं होता है.
कैसे बनता है टनल
बता दें कि पहाड़ों पर टनल यानी सुरंग को बनाने के लिए ड्रिल एंड ब्लास्ट विधि का इस्तेमाल किया जाता है. जानकारी के मुताबिक इस तकनीक के जरिए ही पहाड़ों में ब्लास्ट करके जगह बनाई जाती है. जिसके बाद धीरे-धीरे ब्लास्ट करके उसे सुरंग का रूप दिया जाता है. हालांकि यह तकनीक इतना आसान नहीं होता है, क्योंकि इस दौरान रिस्क रहता है कि चट्टान का बड़ा हिस्सा खिसक सकता है. यही कारण है कि कई बार पहाड़ों की स्थिति देखते हुए दूसरी विधि को अपनाया जाता है.
टनल बोरिंग मशीन
पहाड़ों में टनल बनाने का दूसरा तरीका टनल बोरिंग मशीन है. इस विधि में चट्टान में छेद करके उसमें विस्फोटक भरा जाता है और फिर विस्फोट करके गहरा किया जाता है. हालांकि यह तकनीक महंगी होती है और इसमें एक बार ब्लास्ट करने पर सिर्फ 1 से 2 मीटर की गहराई तैयार होती है.
किस पहाड़ पर कौन सी तकनीक?
अब सवाल ये है कि सुरंग बनाने के लिए किस तकनीक का इस्तेमाल होगा? बता दें कि पहाड़ों में सुरंग बनाने के लिए ड्रिल एंड ब्लास्ट विधि या टनल बोरिंग मशीन किस तकनीक का इस्तेमाल होगा ये पहाड़ की ऊंचाई और उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है. क्योंकि पहाड़ में खाली जगह बनने पर चट्टान टूट जाती है और उसका हिस्सा अलग हो जाता है. अक्सर ड्रिल एंड ब्लास्ट विधि का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड समेत हिमालय जैसी जगहों के लिए किया जाता है.
अब आप सोच रहे होंगे कि सुरंग खोदने के समय उसे कैसे आकार दिया जाता है. बता दें कि एक बार सुरंग खोदने के बाद उसे आकार दिया जाता है और अंदर की दीवारों पर कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा सुरंग को मजबूत करने के लिए स्टील फ्रेम यानी स्टील सपोर्ट का इस्तेमाल किया जाता है. पहाड़ों के अलावा मिट्टी और दूसरे हिस्से में टनल बनाने के लिए दूसरी विधियों का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें पाइप टनल और बॉक्स जैकिंग मैथड शामिल है.
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