हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. 8 अक्तूबर यानी कल इन दोनों राज्यों का चुनावी रिजल्ट हमारे सामने होगा. कल ही पता चल जाएगा कि इन दोनों राज्यों में किन पार्टियों की सरकार बनेगी. खैर, आज इस खबर में हम इस पर बात नहीं करेंगे कि इन राज्यों में किसकी सरकार बन रही है. बल्कि, हम आपको ये बताएंगे कि आखिर वोटों की गिनती कैसे होती है.
वोटिंग के बाद क्या होता है
चुनाव के दिन, वोटिंग बूथों पर जब वोटर अपने वोट डाल देते हैं तब सभी मतपत्रों को इकट्ठा किया जाता है और उन्हें सुरक्षित रूप से अलग-अलग पोलिंग स्टेशनों से लेकर निर्वाचन कार्यालयों में लाया जाता है. यहां, इन्हें वोटों की गिनती के दिन तक कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है.
कैसे की जाती है गिनती
वोटों की गिनती के लिए स्पेशल केंद्र बनाए जाते हैं जो चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित होते हैं. काउंटिंग वाले दिन यहां वोटों की गिनती के लिए सभी आवश्यक उपकरण और स्टाफ मौजूद होते हैं. इसके अलावा काउंटिंग के दिन सुरक्षा बलों को भी तैनात किया जाता है, ताकि कोई भी गड़बड़ी न हो. जब वोटों की गिनती शुरू होती है, तो सबसे पहले ईवीएम और वीवीपैट की जांच की जाती है. ताकि यह पता चल सके कि उनकी स्थिति सही है.
ये भी चीजें ध्यान देने वाली हैं
जिस जगह पर वोटों की गिनती होती है वहां कई काउंटिंग टेबल लगे होते हैं. अलग-अलग टेबल पर अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए वोटों की गिनती की जाती है. वहीं वोटों की गिनती के लिए एक विशेष टीम होती है, जिसमें चुनाव आयोग के अधिकारी और अन्य कर्मचारी शामिल होते हैं. इस टीम का काम होता है कि वोटों की गिनती में किसी भी तरह की गलती ना हो.
नोटा वाले वोटों का क्या होता है
ईवीएम मशीनों में उम्मीदवारों के अलावा एक ऑप्शन नोटा वोटों का भी होता है. यानी वोटर के पास विकल्प होता कि वह 'इनमें से कोई नहीं ' यानी (नोटा) का विकल्प चुन सके. हालांकि, NOTA वोटों की किसी भी प्रत्याशी के जीत या हार में कोई भूमिका नहीं होती. यहां तक कि अगर किसी विधानसभा या लोकसभा में मतदान के दौरान 50 फीसदी भी नोटा वोट पड़ जाएं, तब भी वहां चुनाव रद्द नहीं होता. यानी नोटा वोटों से सिर्फ ये पता चलता है कि किसी भी विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र की जनता अपने यहां चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों से खुश नहीं है.
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