Medicine: महंगाई के कारण आम आदमी को घर चलाना काफी मुश्किल हो गया है. उस पर भी अगर घर के किसी सदस्य को स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो दवाओं के लिए भी खर्च करना पड़ता है. लेकिन आज के समय में दवाईयों के दाम इतने ज्यादा होते जा रहे हैं कि गरीब और आम लोगों के लिए इलाज कराना भी बहुत मुश्किल होता जा रहा है. आपके साथ कई बार ऐसा हुआ होगा कि आप कोई दवा मेडिकल स्टोर से लेकर आये होंगे और एक हफ्ते बाद फिर वही दवा लेने जाते हैं तो आपको उसकी कीमत अधिक देनी पड़ गई होगी. क्या आपने कभी सोचा है कैसे इतनी जल्दी दवा की कीमत बढ़ जाती है. अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपको दवाई की कीमत बढ़ने के पीछे का असली खेल समझाएंगे-
कैसे बढ़ती है बाजार में दवाओं की कीमत-
बाजार में दवाओं के दाम उनकी मांग के अनुसार बढ़ती है. जिन दवाओं की मांग बाजार में अधिक होती है उसका दाम दवा कंपनी बढ़ा देती हैं. जब बाजार में कोई दवा अधिक बिक रही होती है तो कंपनियों की तरफ से दवा का एक नया बैच जारी किया जाता है और वह भी बढ़े हुए दाम के साथ.
कैसे तय करती हैं कंपनियां दवाओं के बैच नम्बर-
जैसे ही बाजार में किसी दवा की मांग बढ़ जाती है वैसे ही कंपनियों द्वारा नया बैच जारी किया जाता है. नये बैच की कीमत भी अलग होती है. यानी की जितना ज्यादा दवा का उत्पादन होगा उतना जल्दी नया बैच जारी किया जाता है और उसकी कीमत भी बढ़ा दी जाती है.
दवा की कीमतों पर कौन करता है निगरानी-
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) भारत में दवाओं के मूल्य तय करना उन पर नियंत्रण रखना और उपलब्धता बनाये रखता है. बाजार में दवाओं की खुदरा कीमतें दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के आधार पर राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण द्वारा तय की जाती है. जिन दवाओं की सूची दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 में दी गयी है उनकी कीमतें NPPA तय करती है. इसके अलावा जो दवाएं सूची में शामिल नहीं हैं उन पर भी NPPA निगरानी रखता है.
फिर कैसे दवा कंपनियां बैच बदलने के साथ कीमतें बढ़ा देती हैं-
दवा कंपनियों द्वारा बैच बदलने के साथ कीमतें भी बढ़ा देती है. इसके पीछे दवा कंपनियों द्वारा कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि का हवाला दिया जाता है साथ ही ट्रांसपोर्ट की कीमतें बढ़ने के वजह को भी दवा के दाम वृद्धि का कारण बताया जाता है.
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