कल्पना चावला की अंतरिक्ष में कैसे हुई थी मौत? एक फोम के टुकड़े से जुड़ी है कहानी
1995 में कल्पना चावला ने जॉन्सन अंतरिक्ष केंद्र में एडमिशन लिया और तैयारियों में जुट गईं. साल 1996 नवंबर में घोषणा की गई कि नासा के एसटीएस-87 मिशन में वह विशेषज्ञ की हैसियत से भाग लेंगी.
19 नवंबर 1997... ये वो दिन था जब भारत की बेटी कल्पना चावला अंतरिक्ष से पृथ्वी को निहार रही थीं. 376 घंटे और 34 मिनट अंतरिक्ष में रहते हुए, कल्पना चावला और उनकी टीम ने पृथ्वी के 252 चक्कर लगाए. इस दौरान किसी को ये नहीं पता था कि जो लोग अंतरिक्ष में आज कमाल कर रहे हैं वो कल धरती पर वापिस नहीं लौट पाएंगे. चलिए आज आपको बताते हैं कि आखिर कल्पना चावला के साथ ऐसा क्या हुआ कि मृत्यु हो गई.
पहले जानिए NASA से कब जुड़ीं
17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में पैदा होने वाली कल्पना चावला ने अपनी शुरुआती पढ़ाई हरियाणा से ही की. इसके बाद 1982 में उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से वैमानिक इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद 1984 में वह अमेरिका पहुंची और टेक्सस यूनिवर्सिटी से उन्होंने अंतरिक्ष वैमानिकी में मास्टर्स की डिग्री ली.
बाद में इसी विषय में अमरीका के ही कोलोराडो यूनिवर्सिटी से उन्होंने 1988 में डॉक्टरेट किया. ये डिग्री हासिल करने के बाद उनके लिए नासा के दरवाजे खुल गए और उन्होंने 1988 में ही नासा ज्वॉइन कर लिया.
अंतरिक्ष यात्रियों की लिस्ट में कल्पना
ये साल था 1994. नासा अपने मिशन STS-87 के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की तलाश कर रहा था. नासा की लिस्ट में कल्पना चावला का भी नाम था, उसकी वजह ये थी कि कुछ समय पहले ही वह कैलीफ़ोर्निया की कंपनी ओवरसेट मेथड्स में उपप्रमुख नियुक्त की गईं थीं और वहां रहते हुए उन्होंने एयरोडायनमिक्स के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण रिसर्च किए थे.
उनके रिसर्च पेपर कई नामी जर्नल में भी छपे थे. यही वजह थी कि नासा ने उन्हें अपने मिशन के लिए बतौर अंतरिक्ष यात्री चुन लिया. इसके बाद 1995 में कल्पना चावला ने जॉन्सन अंतरिक्ष केंद्र में एडमिशन लिया और अंतरिक्ष में जाने की तैयारियों में जुट गईं. साल 1996 नवंबर में घोषणा की गई कि नासा के एसटीएस-87 मिशन में वह विशेषज्ञ की हैसियत से भाग लेंगी.
एक फोम का टुकड़ा बना मौत की वजह
अंतरिक्ष में अपना काम पूरा करने के बाद एक फरवरी, 2003 को NASA का अंतरिक्ष यान कोलंबिया अपनी अंतरिक्ष यात्रा के बाद 7 चालक दल के सदस्यों के साथ पृथ्वी पर वापिस लौट रहा था. लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही शटल कोलंबिया दुर्घटना का शिकार हो गया. धरती पर मौजूद लोग बताते हैं कि जब यह शटल विमान पृथ्वी पर नीचे की ओर गिर रहा था तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग का गोला आसमान से धरती पर गिर रहा हो.
इस दुर्घटना में सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई. जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि कोलंबिया शटल के बाहरी हिस्से से एक फोम का बड़ा टुकड़ा टूट गया था और इसकी वजह से स्पेसशिप की विंग भी टूट गई थी. इसी विंग में हुए छेद की वजह से बाहर की गैसें अंतरिक्षयान के अंदर तेजी से भरने लगीं और इसकी वजह से सभी सेंसर खराब हो गए और आखिरी में कोलंबिया शटल सभी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ नष्ट हो गया.
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