सूमो तो पहलवान होते हैं, फिर ये नाम गाड़ी को कैसे मिला? भारत की सबसे पहली कार कौन-सी थी?
आजकल सड़कों पर कारों की संख्या काफी बढ़ गयी है. आज कार के कई ऑप्शन मौजूद हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है भारत में सबसे पहली कार कौन-सी बनी थी? आइए जानते हैं.
आजकल हर घर मे कार का होना आम बात हो गई है. आप किसी भी छोटे से छोटे शहर मे ही क्यों न चले जाए, आपको हर तरफ कार ही कार दिखाई देंगी. जब से लोगों को लोन की सुविधा मिलने लगी है, तब से लोगों के लिए कार खरीदना भाजी खरीदने जैसा हो गया है. अब घर से निकलने पर इतने लोग नहीं दिखते हैं जितनी ज्यादा कार दिखाई देती है. ऐसे मे कारो की जानकारी तो आपको बखूबी होगी. लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत में निर्मित सबसे पहली कार कौन सी है और उसका निर्माण किसने किया था? आइए आज हम आपको बताते हैं कि भारत में निर्मित हुयी सबसे पहली कार कौन सी है?
भारत में बनने वाली पहली कार
भारत देश में हिन्दुस्तान मोटर्स (Hindustan Motors) ने सबसे पहले एंबैसेडर कारों का निर्माण कोलकाता मे शुरू किया था. लेकिन उस समय उन्हें टेक्निकल चीजों में लंदन के मॉरिस मोटर्स की सहायता लेनी पड़ती थी. भारत में बनने के बावजूद, लंदन के मॉरिस मोटर्स की सहायता लेने के कारण एंबैसेडर कार पूरी तरह स्वदेशी कार नहीं थी. भारत की सबसे पहली स्वदेशी कार टाटा ग्रुप ने बनाई थी. सन 1998 के जिनेवा मोटर शो में टाटा ने अपनी इंडिका गाड़ी को लॉन्च किया था. जिसे पहली स्वदेशी कार माना गया और यह कार सन 1999 में मार्केट में लॉन्च हुई थी.
सूमो नाम क्यों दिया गया
टाटा सूमो कार गैंडे जैसी दिखाई देती है और बहुत शक्तिशाली कार मानी जाती है. इसलिए कुछ लोगों का मानना है ये नाम जापानी सूमो पहलवानों के नाम पर रखा गया था? जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. आपको बता दें कि सूमो कार का नाम टाटा मोटर्स के पूर्व एमडी सुमंत मूलगांवकर (Sumant Moolgaokar) के नाम पर रखा गया था. उनके पहले और दूसरे नाम के दो - दो अक्षरों को मिलाकर ही सूमो (su mo) नाम रखा गया था.
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