कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में लगाए गए लॉकडाउन ने हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित किया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका असर चांद पर भी पड़ा? जी हां, आपने सही सुना. वह वैज्ञानिक नजरिये से काफी दिलचस्प है. आइए जानते हैं कि कैसे लॉकडाउन ने चांद पर अपने प्रभाव डाले और इसके पीछे का विज्ञान क्या है.


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धरती के लॉकडाउन पर चांद पर कैसे पड़ा असर?


इस खोज ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. आखिरकार धरती पर होने वाली गतिविधियों का चांद के तापमान पर क्या असर हो सकता है? इसका जवाब है, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र. बता दें पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र सूर्य से आने वाले हानिकारक विकिरणों से हमारी रक्षा करता है. यह चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के कोर में मौजूद पिघले हुए लोहे की वजह से उत्पन्न होता है. जब हमारी औद्योगिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, तो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में भी कुछ बदलाव आते हैं.


शोधकर्ताओं का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान जब मानवीय गतिविधियां कम हो गईं, तो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में थोड़ा सा बदलाव आया. इस बदलाव का असर चांद के उस हिस्से पर पड़ा जो हमेशा पृथ्वी की ओर होता है. चांद का यह हिस्सा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होता है. साथ ही हालिया शोध में यह भी पाया गया कि चांद की सतह पर छोटे-छोटे भूकंप की गतिविधियां कम हुईं. ये भूकंप, जिन्हें "लूनर टेन्स" कहा जाता है, चांद की संरचना में होने वाले प्राकृतिक बदलावों के संकेत होते हैं. लॉकडाउन के दौरान, ये गतिविधियां कम हो गईं, जिससे चांद की सतह ज्यादा स्थिर रही.


क्यों है ये खोज इतनी जरुरी?


यह खोज हमें पृथ्वी और चांद के बीच के मौजूद चीजों के बारे में और ज्यादा जानने में मदद करती है. इससे हमें यह समझने में भी मदद मिलेगी कि मानवीय गतिविधियां हमारे ग्रह और उसके आसपास के वातावरण को कैसे प्रभावित करती हैं.


इसके अलावा, यह खोज हमें अंतरिक्ष यात्रा के लिए भी जरुरी जानकारी देती है. चांद पर मानव मिशन भेजने से पहले हमें चांद के वातावरण के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. यह शोध हमें इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाता है.                                                


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