भारत में आपको ऐसे कई गांव, शहर और कस्बे मिल जाएंगे, जिनके नाम के अंत में "सर", "गंज", "पुर" और "बाद" जैसे शब्द नजर आते हैं. व्याकरण में ऐसे शब्दों को जिनका अंत में उपयोग होता है, प्रत्यय कहा जाता है. चलिए आज इस खबर में जानेंगे कि आखिर स्थानों के नामों के अंत में ये प्रत्यय क्यों लगाए जाते हैं.


पहले सर के बारे में जानिए


"सर" का हिंदी में अर्थ होता है तालाब या  फिर जलाशय. सर प्रत्यय अक्सर उन जगहों के अंत में लगाया जाता था, जहां पानी का अच्छा स्त्रोत हो. यही वजह है कि भारत में कई गांव और शहर ऐसे हैं जिनके नाम के अंत में सर आता है.जैसे- नूरसर. ये राजस्थान में एक इलाका है, जो अपने स्थानीय जल स्रोतों के लिए जाना जाता है. इसी तरह से चंदसर है. यह उत्तर प्रदेश में एक गांव है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जल स्रोतों के लिए लोकप्रिय है.


अब गंज के बारे में जानिए


गंज का मतलब होता है बाजार या हाट. यानी जिन स्थानों के नाम के अंत में गंज लगा हो तो समझ जाना चाहिए कि वह स्थान व्यापार, वाणिज्य और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र है. पुराने शहरों में आपको आज भी ऐसे बाजार मिल जाएंगे जिनके नाम के अंत में गंज लगा है. जैसे- उत्तर प्रदेश के जिले जौनपुर में है रामदयालगंज. प्रयागराज में है जॉनसनगंज. इन जगहों पर जिले का बड़ा बाजार है. 


अब पुर के बारे में जानिए


पुर का मतलब होता है किला. यही वजह है कि भारत में ऐसे कई स्थान मिल जाएंगे जिनके नाम के अंत में पुर लगा होगा. जयपुर, उदयपुर, रामपुर, सुल्तानपुर, रायपुर ये सभी ऐसे स्थान हैं जहां कोई ना कोई किला है. राजस्थान के जयपुर और उदयपुर में तो आपको कई किले मिल जाएंगे. इसके अलावा जिन स्थानों के अंत में गढ़ का इस्तेमाल होता है वहां भी आपको किले देखने को मिल जाएंगे. इसके अलावा पुर प्रत्यय का इस्तेमाल उन स्थानों के लिए भी किया जाता है जिनकी बसावट पुरानी है. यानी जो बहुत पुराने शहर हैं.


बाद का मतलब समझिए


बाद का मतलब होता है नगर या स्थान. यही वजह है कि यह प्रत्यय बड़े शहरों या कस्बों के नाम के अंत में लगाया जाता है. खासतौर से वैसे शहर जो अपने दौर में विकसित थे और जो औद्योगिक, वाणिज्यिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र था. जैसे- हैदराबाद, मुरादाबाद और सिकंदराबाद. इसके अलावा कई और शहर भी हैं जिनके नाम के अंत में बाद लगा होता है.


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