हिंदू धर्म से कितना अलग है यहूदी धर्म, जानिए ये कैसे करते हैं पूजा
यहूदियों के लिए खबाद हाउस बेहद खास होता है. आपको बता दें, भारत के मुंबई, दिल्ली, अजमेर, हिमाचल के धर्मकोट और राजस्थान के पुष्कर मे भी इनके लिए खबाद हाउस बनाए गए हैं.
यहूदी धर्म दुनिया के कुछ सबसे पुराने धर्मों में से एक है. जब आप इस धर्म के बारे में थोड़ा गहराई में जा कर पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि इसका इतिहास लगभग 3000 साल पुराना है. कहा जाता है कि ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म लगभग लगभग एक ही काल के आसपास शुरू हुए. यही वजह है कि इनमें काफी समानता है. वहीं अगर आप यहूदी धर्म की तुलना हिंदू धर्म से करेंगे तो कुछ चीजों को छोड़ कर आपको इनमें कोई समानता नजर नहीं आएगी.
यहूदी कैसे करते हैं पूजा
यहूदी धर्म के अनुसार, इसे मानने वाले लोग दिन में तीन बार प्रार्थना करते हैं. यहूदी दुनिया में कहीं भी रहें, लेकिन प्रार्थना करते वक्त वो यरूशलेम की ओर मुंह करके ही प्रार्थना करते हैं. यहूदी धर्म मूर्ती पूजा में विश्वास नहीं करता. इसके साथ ही ये लोग हर चीज के लिए अपने ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हैं. हालांकि, ये प्रैक्टिस आपको हर धर्म में देखने को मिल जाएगी. वहीं यहूदियों के लिए खबाद हाउस बेहद खास होता है.
ये आपको ज्यादातर देशों में मिल जाएगा. यहां यहूदी लोग अपनी प्रार्थना करते हैं. आपको बता दें, भारत के मुंबई, दिल्ली के पहाड़गंज, अजमेर, हिमाचल के धर्मकोट और राजस्थान के पुष्कर मे भी इनके लिए खबाद हाउस बनाए गए हैं. विदेश से भी जो इजराइली घूमने आते हैं वो यहां प्रार्थना करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के धर्मकोट स्थित खबाद हाउस में इजरायल से हर साल हजारों पर्यटक घूमने और प्रार्थना करने आते हैं.
पूजा से जुड़ी है यहूदियों की टोपी
आपको बता दें, यहूदी लोग पूजा करते समय एक बात का खास ख्याल रखते हैं कि उनके सिर पर किप्पा जरूर हो. किप्पा उस टोपी को कहते हैं जो हर यहूदी खास मौकों पर पहनता है. आपने देखा होगा कि ज्यादातर धार्मिक यहूदी अपने सिर पर एक खास प्रकार की छोटी टोपी पहनते हैं. दरअसल, इनके धर्म में माना जाता है कि पूजा करते समय या कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करते समय अपना सिर किप्पा से जरूर ढकना है. हालांकि, ऐसा हिंदू और इस्लाम धर्म में भी देखा जाता है. आपको बता दें, हिंदू धर्म में भी पूजा पाठ करते समय अपने सिर पर कोई कपड़ा रखने का रिवाज है. वहीं इस्लाम में भी नामज पढ़ते वक्त टोपी पहनना आनिवार्य माना जाता है.
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