स्पेस में महीनों तक कैसे सांस लेते हैं एस्ट्रोनॉट्स, जानें कहां से आता है इतना ऑक्सीजन
आपने अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की तस्वीरें तो देखी ही होंगी. दोनों कई महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं. ऐसे में अगर अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं है तो वे सांस कैसे ले रहे हैं?
सांस लेना इंसान के लिए सबसे जरूरी काम है. अगर कुछ सेकेंड के लिए भी सांस रोक ली जाए तो जान पर बन आती है. मैदानी इलाकों में तो ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में रहती है और हम आसानी से सांस ले पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम ऊंचाई पर जाते हैं सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. ज्यादा ऊंचाई पर जाने पर हमारी सांस तक फूलने लगती है और हमें अलग से ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होती है.
क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी से हजारों-लाखों किलोमीटर ऊंचाई पर अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स सांस कैसे लेते होंगे, जबकि धरती से सिर्फ 120 किलोमीटर तक ऊंचाई तक ही ऑक्सीजन है. अंतरिक्ष में तो ऑक्सीजन होने का सवाल ही नहीं खड़ा होता, ऐसे में बिना ऑक्सीजन एक्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में इतने दिन कैसे बिताते हैं? इसके पीछे की सही वजह जानते हैं.
अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं
हम सभी जानते हैं कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं है. ऐसा इसलिए है कि क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल काम नहीं करता. अगर अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल काम करता तो यह गैसों को बांधे रखता, जिससे यहां ऑक्सीजन मिल पाती है. हालांकि, यहां ऑक्सीजन नहीं है, जिससे यहां सांस लेना भी मुश्किल है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में सांस कैसे लेते हैं?
अंतरिक्ष यान में होती है ऑक्सीजन की व्यवस्था
आपने हाल के दिनों में भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की तस्वीरें तो देखी ही होंगी. दोनों बीते कई महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं. ऐसे में अगर अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं है तो वे सांस कैसे ले रहे हैं? दरअसल, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए डिजाइन किए गए स्पेसक्राफ्ट में ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाती है. इसलिए जब तक वे स्पेसक्राफ्ट में रहते हैं, उन्हें सांस लेने के लिए अगल से ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं लेना होता.
स्पेसवॉक के लिए बनाया जाता है स्पेशल स्पेससूट
हालांकि, अगर एस्ट्रोनॉट्स स्पेसक्राफ्ट से बाहर निकलते हैं, तो उन्हें अगल से ऑक्सीजन सिलेंडर कैरी करना होता है. अंतरिक्ष यात्रियों को जब भी स्पेस वॉक करना होता है, तो उनके लिए विशेष तरह का स्पेससूट बनाया जाता है, जिसमें ऑक्सीजन की व्यवस्था होती है. इस स्पेस शूट में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दो तरह के सिलेंडर होते हैं.
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