धरती पर रहने वाले लोगों के लिए 24 घंटे में एक बार सुर्योदय होता है और एक बार सुर्यास्त होता है. लेकिन सोचिए जो एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन में रहते हैं उनके लिए दिन और रात कैसे होती होगी. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि स्पेस में तो कभी सुर्यास्त होता ही नहीं है. दरअसल, पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है. इस चक्कर के हिसाब से ही पृथ्वी का जो हिस्सा सूर्य की सीध पर रहता है उधर दिन होता है और जो हिस्सा सूर्य की रौशनी के पीछे रहता है उधर रात होती है.


कौन-कौन रहता है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में


धरती से बाहर स्पेस स्टेशन में हर समय औसतन 5 से 6 एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं. इनमें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, रूस की रॉस्कॉस्मॉस, यूरोप की ईएसए, जापान की जेएक्सए और कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसी सीएसए के एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को दिन और रात के बारे में कैसे पता चलता है.


आपको बता दें, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 400 किलोमीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है. यह स्पेस स्टेशन वहां पर एक जगह स्थिर नहीं है, बल्कि अंडाकार पथ पर स्पेस स्टेशन लगातार पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है.


एस्ट्रोनॉट्स को दिन और रात का कैसे पता चलता है


इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS 27,600 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाता है. समय की बात करें तो 90 मिनट में यह धरती का एक चक्कर लगा लेता है.  यानि जिस तरह पृथ्वी का आधा हिस्सा आधे समय सूर्य के सामने और आधे समय आधा हिस्सा सूर्य के पीछे रहता है. उसी तरह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी करीब आधा समय सूर्य की रौशनी और बाकी समय पृथ्वी की छाया में रहता है.


यानी स्पेस स्टेशन एक चक्कर में लगभग 45 मिनट अंधरे और 45 मिनट उजाले में रहता है. यानी 24 घंटे में स्पेस स्टेशन में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त होता है. हालांकि, स्पेस स्टेशन में एस्ट्रोनॉट्स के सोने के लिए जो कमरा होता है, उसमें कई हाइटेक व्यवस्था होती है. यानी बाहर भले ही रौशनी हो कमरे में पूरा रात का माहौल रहता है और इस माहौल में एस्ट्रोनॉट्स आराम से सो सकते हैं.


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