जम्मू कश्मीर और हरियाणा में चुनाव पूर्ण हो चुके हैं. ऐेसे में जमानत राशि की वापसी के मुद्दे ने एक बार फिर से चर्चा का विषय बना दिया है. चुनावी प्रक्रिया में जमानत राशि की व्यवस्था महत्वपूर्ण होती है, जो उम्मीदवारों के लिए एक प्रकार की वित्तीय सुरक्षा का काम करती है. आइए जानते हैं कि चुनाव हारने या जीतने वाले उम्मीदवारों को जमानत के पैसे कैसे वापस मिलते हैं और इसके पीछे के नियम क्या हैं.
क्यों उम्मीदवारों को देनी होती है जमानत राशि?
चुनाव में भाग लेने वाले हर उम्मीदवार को एक निर्धारित राशि बतौर जमानत जमा करनी होती है. यह राशि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित होती है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल गंभीर और सक्षम उम्मीदवार ही चुनाव लड़ें. यदि कोई उम्मीदवार अपनी जमानत राशि वापस पाना चाहता है, तो उसे कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करना होगा.
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क्या होती है जमानत राशि देने की प्रक्रिया?
जमानत राशि जमा करना: हर उम्मीदवार को नामांकन के समय जमानत राशि जमा करनी होती है. यह राशि चुनाव क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकती है.
चुनाव परिणाम: जब चुनाव परिणाम घोषित होते हैं, तो उम्मीदवारों को उनकी स्थिति के अनुसार जमानत राशि की वापसी का अधिकार मिलता है.
जीतने वाले उम्मीदवार: यदि कोई उम्मीदवार चुनाव जीतता है, तो उसकी जमानत राशि पूरी तरह से वापस कर दी जाती है.
हारने वाले उम्मीदवार: यदि उम्मीदवार चुनाव हार जाता है, तो उसकी जमानत राशि लौटाने का नियम इस पर निर्भर करता है कि उसे कितने वोट मिले.
हारने वाले उम्मीदवारों के क्या हैं नियम?
यदि हारने वाले उम्मीदवार को कुल वोटों का 1/6 (या 16.67%) से अधिक वोट मिलते हैं, तो उसकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है. अगर उसे इससे कम वोट मिलते हैं, तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है. यह नियम इस उद्देश्य से लागू किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल वो उम्मीदवार, जो वास्तविक जनसमर्थन प्राप्त कर रहे हैं, ही अपनी जमानत राशि वापस पा सकें.
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