19वीं मंजिल से गिरकर भी बच जाती है बिल्ली, इसके शरीर में ऐसा क्या है जो ऊंचाई से गिरने पर भी चोट नहीं लगती?
बिल्लियां ऊंचे स्थानों से गिरकर भी क्यों बच जाती हैं? पशु चिकित्सकों और जीव वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका जवाब भौतिकी, विकासवाद शास्त्र और शरीर विज्ञान में छिपा है. आइए जानते हैं.
Cats: आपने अगर कभी किसी बिल्ली को दीवार या किसी और ऊंची जगह से गिरते देखा है, तो बहुत ज्यादा संभावना है कि आपने यही देखा होगा कि गिरने के बाद भी बिल्ली बड़े आराम से उठकर आगे बढ़ जाती है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में एक बिल्ली एक अपार्टमेंट की 19वीं मंजिल से गिरने के बाद भी बच गई. ऐसे में सवाल आता है कि आखिर बिल्लियां इतनी ऊंचाई से गिरकर भी बच कैसे जाती हैं?
भौतिकी, विकासवाद शास्त्र और शरीर विज्ञान का है खेल
बिल्लियां ऊंचे स्थानों से गिरकर भी क्यों बच जाती हैं? पशु चिकित्सकों और जीव वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका जवाब भौतिकी, विकासवाद शास्त्र और शरीर विज्ञान में छिपा है. वर्जीनिया टेक विश्वविद्याल में बायोकेमिस्ट जेक सोका का कहना है कि बिल्लियों का ऊंचाई से गिरकर बच जाना कोई हैरानी वाली बात नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1987 में हुए एक अध्ययन में न्यूयॉर्क के एक पशु चिकित्सालय से ऐसी 132 बिल्लियों की जानकारी ली गई, जो ऊंची इमारतों से गिर गई थीं.
इनमें से 90 प्रतिशत बिल्लियां बच गईं, जबकि सिर्फ 37 प्रतिशत को ही इलाज की जरूरत पड़ी. एक बिल्ली तो 32वीं मंज़िल से गिरी थी. हालांकि, उसका एक दांत टूटा और फेफड़े में तकलीफ हुई थी, लेकिन उसे भी 48 घंटे बाद छोड़ दिया गया था.
शारीरिक बनावट का है बड़ा रोल
वैज्ञानिकों के मुताबिक, बिल्लियों का शरीर ही ऐसे बना है कि उन्हें ऊंचाई से गिरकर भी कुछ नहीं होता. इनका शरीर बहुत ही ज्यादा फ्लेक्सिबल होता है. जब भी कोई चीज गिरती है तो नीचे पहुंचने पर उसकी अंतिम गति को टर्मिनल वेलोसिटी कहा जाता है. यह गुरूत्व बल और ऊपर धकेलने वाले हवा के बल का फल होती है.
बिल्लियों की टर्मिनल वेलोसिटी होती है कम
1987 में हुए अध्ययन में पाया गया कि बिल्लियों के गिरने की Terminal Velocity इंसानों या अन्य जीवों से काफी कम होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक सामान्य आकार की बिल्ली अपने चारों पैरों को फैलाकर गिरती है तो उसकी टर्मिनल वेलोसिटी करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. लेकिन अगर उतनी ही ऊंचाई से इंसान गिरे तो उसकी टर्मिनल वेलोसिटी 200 किलोमीटर प्रति घंटे के आस-पास पहुंच जाएगी.
बिल्ली है आर्बोरियल जीव
वैज्ञानिकों का कहना है कि बिल्ली आर्बोरियल जीव है, यानी यह पेड़ों पर भी रह सकती है. ऐसे में इन जीवों को मालूम होता है कि वो किसी भी वक्त गिर सकते हैं. इसी कारण समय के साथ विकासवाद के अनुरूप उनका शरीर भी ऐसे ही ढल गया है. एक तरह से कहा जाए तो यह गिरने के एक्शन के प्रति तुरत रिएक्शन करने में सक्षम हो चुकी हैं.
आता है संतुलन बनाना
वैज्ञानिकों के मुताबिक बिल्लियां इतनी सक्षम हैं कि वो स्वाभाविक रूप से तुरंत ही यह पता लगा लेती हैं कि कैसे पांव नीचे रखकर संतुलन बनाना है. गिरते समय ये बहुत फुर्ती के साथ अपने शरीर को ऐसे कर लेती हैं कि जमीन से टकराने पर उनका संतुलन बना रहे. इसके अलावा गिरते समय ये अपनी पूंछ का bhinइस्तेमाल करके ऐसी स्थित में आ जाती हैं कि उनके शरीर का भार उनके पैरों पर पड़े. अगर आप बिल्ली को ऊंचाई से किसी भी तरह से छोड़ते हैं तो यह हर बार बहुत तेजी के साथ संतुलन की स्थिति में आ जाएगी.