Earphone: वैसे तो आजकल ब्लूटूथ कनेक्टिविटी वाले वायरलेस इयरफोंस आने लगे हैं, लेकिन आज भी बहुत सारे लोग वायर वाले इयरफोन इस्तेमाल करते हैं. इन्हे इस्तेमाल करने वाला हर शख्‍स इनके तारों की उलझन से परेशान रहता है. कोई कितना भी ध्यान रख ले, फिर भी इयरफोन उलझ ही जाती है. आप इसे ऐसे ही अनदेखा कर देते हैं, क्या कभी आपने सोचा है कि इसके पीछे भी विज्ञान हो सकता है? आइए जानते हैं क्या है वो विज्ञान...


साल 2012 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के दो वैज्ञानिकों ने तार के उलझने पर शोध करने के लिए नॉट थ्‍योरी यानी गांठ के सिद्धांत का अध्‍ययन किया. अध्‍ययन में उन्‍होंने अलग-अलग लंबाई के कई तार तारों को प्‍लास्‍ट‍िक के एक बॉक्स में रखा और समय-समय पर उसे घुमाया. अध्ययन का नतीजा चौंकाने वाला था.


अध्ययन में क्या पाया गया?


उन्होंने पाया कि बॉक्स के सभी तार आपस में उलझ चुके थे. हैरानी वाली बात थी कि 5-10 बार घुमाने के दौरान 10 सेकेंड के भीतर ही तारों में गांठें पड़ गई थीं. इसका मतलब यह हुआ कि जब आप इयरफोन को बैग में रखकर चलते हैं, तो कुछ कदम चलने के बाद ही उसके तार आपस में उलझना शुरू हो जाते हैं.


तारों की लंबाई का पड़ता है असर


तारों की लंबाई का भी उलझने की क्रिया पर असर पड़ता है. लंबे तारों में जल्दी गांठें पड़ती हैं. तार जितने ज्यादा लंबे, मुलायम होंगे, उनमें जल्दी गांठ पड़ने की संभावना उतनी ज्‍यादा होगी. अध्‍ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे सुझाव भी दिए, जिन्हे अपनाने से तारों के बीच गांठ पड़ने से बचा जा सकता है.


बॉक्स या पाउच का में इस्तेमाल


इयरफोन को सही तरीके मोड़कर एक छोटे बॉक्स या पाउच में रखें. यह बॉक्स या पाउच इतना छोटा हो कि तार को हिलने-डुलने के लिए जगह न मिले. जब वह हिलेगा नहीं तो उलझेगा भी नहीं.


ये भी कर सकते हैं


इसके अलावा आप इयरफोन के तार को गत्ते के टुकड़े या किसी तार को आपस में ही लपेटने के बाद किसी छोटे बॉक्स में रखें. ऐसा करने से भी वह आपस में नहीं उलझेंगे. 


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