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पाकिस्तान में कैसे रहे भारत के रॉ एजेंट, इस तरह के भी काम करने पड़ते हैं

एनएसए अजीत डोभाल हों या रविंद्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर, भारत के लिए दोनों का योगदान बहुत खास है. खासतौर से जब बात किसी खुफिया एजेंट की होगी तो इन दो भारतीयों का नाम सबसे ऊपर लिखा जाएगा.

दुनिया के हर देश के पास अपनी एक ऐसी संस्था जरूर होती है जो खुफिया तरीके से दूसरे देशों में ऑपरेशन करती है. जैसे इजरायल के पास मोसाद, पाकिस्तान के पास आईएसआई और अमेरिका के पास एफबीआई है. इसी तरह से भारत में ये काम रॉ करती है. रॉ दुनिया की सबसे बेस्ट खुफिया एजेंसियों में से एक है. भारत के पड़ोसी और कभी कभी दुश्मन बन जाने वाले देश पाकिस्तान में घुस कर रॉ के एजेंट्स ने कई ऑपरेशन्स को अंजाम दिया है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर भारत के रॉ एजेंट्स पाकिस्तान में कैसे रहते हैं.

जानिए अजीत डोभाल की कहानी

अजीत डोभाल फिलहाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वो भारत के सबसे बेस्ट खुफिया एजेंट थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन्होंने सात साल तक पाकिस्तान में रह कर भारत के लिए जासूसी की थी. दरअसल, अजीत डोभाल केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी थे...लेकिन उनका सपना और उनकी काबीलियत उन्हें पुलिस सर्विस की बजाय रॉ के दफ्तर ले गई. वहां, ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें एक मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया. पाकिस्तान में उन्होंने कई तरह के काम किए, यहां तक की रिक्शा भी चलाई.

किस लिए गए थे पाकिस्तान

अजीत डोभाल पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम के आतंकी और खुफिया गतिविधियों पर नजर रखने के लिए गए थे. उन्होंने वहां रह कर दाऊद के भारत विरोधी कई मनसूबों का नाकाम किया. आपको बता दें, पाकिस्तान के लाहौर में रहने के दौरान अजीत डोभाल ने वहां के उन मुस्लिमों से दोस्ती की जो दाऊद से या उसे जानने वालों से किसी ना किसी तरह से संबंध रखते थे. फिर इन्हीं लोगों की मदद से उन्होंने दाऊद के बारे में और उसके भारत विरोधी मनसूबों के बारे में जानकारी मिलती थी.

मस्जिद में बाल बाल बचे थे डोभाल

अजीत डोभाल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जब वो पाकिस्तान में थे तो एक दिन मस्जिद की सीढ़ियां उतरते हुए उन्हें एक आदमी ने रोक लिया. उस आदमी ने उनकी ओर देखा और कहा कि तुम एक हिंदू हो? अजीत डोभाल ने तुरंत जवाब दिया...नहीं. वो आदमी फिर भी नहीं माना और डोभाल को अपने साथ एक कमरे में ले गया. उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और कहा कि तुम्हारे कानों में छेद है और मैं जहां से आता हूं वहां हिंदू लोग जन्म के बाद अपने बच्चों के कानों में छेद करवाते हैं. तुम इसे बंद करवा लो, नहीं तो मूसिबत में फंस जाओगी. अजीत डोभाल बताते हैं कि इस वाकये के बाद उन्होंने अपने कान की प्लास्टिक सर्जरी कराई.

रविंद्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर की कहानी

अजीत डोभाल की ही तरह रॉ का एक हीरो और था. ये ऐसा हीरो था जो पाकिस्तान में रॉ का एजेंट बन कर गया और वहां इतना अंदर घुस गया कि पाकिस्तानी आर्मी में मेजर के पद तक पहुंच गया. हालांकि, अंत में पाकिस्तान ने उसे पकड़ लिया और फिर पूरी दुनिया के सामने ये कहानी आई.

11 अप्रैल 1952 को रविंद्र कौशिक का जन्म एक वायु सेना अधिकारी के परिवार में हुआ. रविंद्र को शुरू से ही ड्रामा और एक्टिंग का बहुत शौक था, कहा जाता है कि वो किसी भी किरदार में इस तरह से घुस जाते थे कि ये पहचानना मुश्किल हो जाता था कि रविंद्र एक्टिंग कर रहे हैं या सच में यही उनका असली रूप है. कहा जाता है कि रविंद्र रॉ के संपर्क में भी इसी ड्रामा और एक्टिंग की वजह से आए.

रॉ ने कैसे दी ब्लैक टाइगर को ट्रेनिंग

दरअसल, लखनऊ में एक दिन नेशनल लेवल की ड्रामेटिक मीट हुई. इस मीट में रॉ के कुछ एजेंट्स भी आए हुए थे. यहीं उनकी नजर रविंद्र कौशिक पर पड़ी और फिर उन्हें रॉ के लिए चुन लिया गया. रॉ ने सबसे पहले उन्हें दो साल तक ट्रेनिंग दी, ताकि वो पाकिस्तान में एक आम मुस्लिम बन कर रह सकें. इस दौरान उन्हें मुस्लिम रिती रिवाज, उर्दू, अरबी और हर वो चीज सिखाई गई जो एक आम पाकिस्तानी मुस्लिम अपनी निजी जिंदगी में हर रोज करता है.

घर वालों को भी नहीं पता था

रविंद्र कौशिक के पिता एयर फोर्स में थे, लेकिन इसके बावजूद रविंद्र ने घर में बताया कि वो नौकरी के लिए दुबई जा रहे हैं. जबकि वो पाकिस्तान जा रहे थे. 1978 में वो नबी अहमद बन कर पाकिस्तान पहुंचे और कराची यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई करने लगे. फिर सेना की भर्ती परीक्षा देकर वो सेना में भर्ती हो गए. सेना में रहते हुए उन्होंने अपनी इतनी काबीलियत दिखाई की वो मेजर के पद तक पहुंच गए. यहां तक कि उन्होंने पाकिस्तान आर्मी के एक अफसर की बेटी से शादी की और उससे उन्हें एक बेटा भी हुआ. सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन, 1983 में कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें पकड़ लिया गया. नवंबर 2001 में जेल में रहते हुए ही उनकी मौत हो गई थी.

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