Lizard: हमारे चारों ओर कई तरह के जीव रहते है. इनमें से कुछ तो हमारे घर में ही छुप कर रहते है. जिनमें से छिपकली भी एक है. छिपकली को आसानी से हम अपने घर की दीवारों पर चलते हुए देख सकते हैं. यह घर में रहकर वहां आने वाले मक्खी-मच्छर और कीट-पतंगों का सफाया करती है. घर की छत पर दौड़ती छिपकली को देख मन में बस यही डर बना रहता है कि कहीं ये ऊपर न गिर जाए.
क्या कभी आपने ये सोचा है कि एक साधारण-सी छिपकली के पास ऐसी कौन-सी शक्तियां होती हैं, जो यह दीवार पर भी चल लेती है? सिर्फ चल ही नहीं लेती, बल्कि दौड़ती भी है. इसके अलावा एक सवाल यह भी बनता है कि जो छिपकली जीते-जी दीवारों पर दौड़ लगाती फिरती है वो मरने के बाद नीचे क्यों गिर जाती है? आइए आज आपको इसी बारे में हैं.
दीवार पर कैसे चल पाती है छिपकली?
दरअसल, छिपकली के पैरों के तलवों पर बहुत सारे सूक्ष्म रेशे होते हैं, जिन्हें सेटे (setae) कहते हैं और हर सेटे में सैकड़ों सूक्ष्म रोम होते हैं जो स्पेचुले (spatulae) कहलाते हैं. छिपकली जब दीवार पर चलती है तो ये स्पेचुले दीवार के संपर्क में आते हैं, जिससे वंडर वाल्स बल उत्पन्न होता है. छिपकली इसी बल की मदद से दीवार पर आसानी से चिपकी रहती है और चल व दौड़ पाती है.
बाल का लगभग दसवां हिस्सा होते हैं स्पेचुले
स्पेचुले व्यास में हमारे बाल का लगभग दसवां हिस्सा होता है. इसलिए ये छोटे पैड सतह के क्षेत्र में काफी वृद्धि करते हैं और उस सतह के साथ काफी अच्छा संपर्क बनाते हैं, जिस पर छिपकली रेंग रही होती है. इस तरह छिपकली के तलवों और सतह के बीच वडर वाल्स बल आ जाते हैं और एक बहुत मजबूत पकड़ बनती है.
क्या हैं वांडर वाल्स बल ?
आसान भाषा में समझते हैं कि वांडर वाल्स बल क्या होते हैं. संसार में हर पदार्थ परमाणुओं और अणुओं से मिलकर बना होता है. इन अणुओं और परमाणुओं के बीच कई तरह के बल काम करते हैं. ये बल एक जैसे और अलग-अलग अणुओं के बीच भी लग सकते हैं. छिपकली के मामले में ये बल दो अलग तरह के पदार्थों के अणुओं के बीच लगता है.
मौत के बाद शरीर नहीं करता काम
दीवार पर चलने के लिए सिर्फ इतना ही काफी नही है. छिपकली का चलने का भी एक खास तरीका होता है. मरने के बाद शरीर काम करना बंद कर देता है. कोशिकाएं शिथिल पड़ जाती हैं. ऐसे में छिपकली की पकड़ भी खत्म हो जाती है. जिस कारण वह नीचे गिर जाती है.
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