तमिलनाडु में जहरीली शराब पीने से 34 लोगों की मौत हो गई तो वहीं 100 से ज्यादा लोग हॉस्पिटल में भर्ती हैं. आए दिन जहरीली शराब से मौतों की खबर आप सुनते ही होंगे. कई लोगों के मन में ये भी सवाल आता है कि जब लोगों को पता है कि जहरीली शराब कई लोगों की जान ले रही है तो फिर लोग इतकी लत का शिकार कैसे बन जाते हैं? चलिए आज हम इस बारे में जानते हैं.


कैसे लग जाती है शराब की लत?


लॉकडाउन में कई लोगों को जब शराब नहीं मिली तो उन्होंने आफ्टर शेव लोशन और सेनिटाइजर तक पी लिया. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर उन्हें ये लत लगी कैसे? तो बता दें कि इसका जवाब साइकोलॉजी और बायलॉजी की मिली जुली रिसर्च में सामने आता है.


साइकोलॉजी टुडेकी एक रिसर्च के अनुसार, शराब शरीर और मन को एक आभासी दुनिया में जीने की आदत लगा देती है. जो व्यक्ति इसे पीता है उसे वास्तविक दुनिया फीकी लगने लगती है और अल्कोहल की क्रेविंग होना शुरू हो जाती है. इसी रिसर्च में ये बात सामने आई है कि किसी भी आदत को लगने में तीन फैक्टर काम करते हैं, पहला संकेत, दोहराव और रिवॉर्ड.


किसी भी चीज की लग सकती है लत


व्यक्ति को लत किसी भी चीज की लग सकती है, जैसे चाय की लत, शॉपिंग की लत, पोर्न की लत या फिर शराब पीने की लत. शुरुआत में लोग शौकिया तौर पर शराब पीते हैं. इसके बाद उनका मन कभी कभार शराब पीने के संकेत देने लगता है. उन्हें ऐसा महसूस होने लगता है कि शराब पीने से उनके दिन और दिमाग को अच्छा महसूस होगा और उनकी चिंताएं खत्म हो जाएंगी. फिर ये क्रेविंग लगातार होती रहती है और उस व्यक्ति को शराब की लत लग जाती है.


क्यों दिमाग देने लगता है शराब पीने के संकेत?


अब सवाल ये भी उठता है कि जिस चीज को पीकर इंसान अपना होश खो दे और सही से चलना, उठना, बैठना भी भूल जाए भला उसे क्यों पीना चाहेगा? तो बता दें कि शराब में मौजूद अल्कोहल मन-मस्तिष्क में ऐसा केमिकल लोचा पैदा कर देता है कि लोग उसके जाल में फंसते जाते हैं.


दरअसल जब भी कोई व्यक्ति रोजाना और ज्यादा मात्रा में शराब पीना शुरू कर देता है तो उसके दिमाग मेंटेट्रा हाइड्रो आइसोक्वीनोलिननामक केमिकल बनता है. यही केमिकल न्यूरोट्रांसमिटर्स के जरिए बताता है कि शरीर को और अल्कोहल की जरूरत है, जिसके बाद इंसान उसका आदी बन जाता है.


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