रिमोट या डेटोनेटर...कैसे फटता है कोई परमाणु बम? जान लीजिए जवाब
किसी परमाणु बम के विस्फोट की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब उसे सक्रिय किया जाता है. यहां पर डेटोनेटर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. डेटोनेटर बम के अंदर मौजूद विस्फोटक सामग्री को सक्रिय करता है.
परमाणु बम कितना खतरनाक हो सकता है इसका अंदाजा 6 अगस्त 1945 को पूरी दुनिया को लग गया था. दरअसल, ये वही तारीख है जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों, हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे. इस हमले में हजारों लोग मरे और लाखों लोग प्रभावित हुए.
इस बम का प्रभाव इतना भयावह था कि कई पीढ़ियों तक इसका असर दिखा. खैर, चलिए अब आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि कोई परमाणु बम फटता कैसे है. इसके लिए कोई रिमोट काम करता है या फिर डेटोनेटर.
पहले परमाणु बम के आधार को समझिए
अगर आपकी विज्ञान में जरा भी दिलचस्पी होगी तो आपको पता होगा कि परमाणु बम का मूल सिद्धांत नाभिकीय विभाजन पर आधारित है. आसान भाषा में आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब, यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 को एक न्यूट्रॉन द्वारा प्रभावित किया जाता है, तो यह नाभिक टूट जाता है और कई छोटे नाभिकों में बंट जाता है. इस प्रक्रिया में ढेर सारी ऊर्जा और अतिरिक्त न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं, जो दूसरे नाभिकों को भी विभाजित करने में सक्षम होते हैं. ये पूरी प्रक्रिया एक चेन रिएक्शन होती है. यही वजह है कि जब कोई परमाणु बम फटता है तो उसका परिणाम इतना ज्यादा घातक हो जाता है.
दो तरह से होते हैं विस्फोट
परमाणु बम दो प्रकार के होते हैं. फिशन बम (Fission bomb). इस बम में केवल नाभिकीय विभाजन का प्रयोग किया जाता है. जबकि, दूसरे यानी हाइड्रोजन बम में नाभिकीय संलयन के साथ-साथ विभाजन का भी प्रयोग होता है. यही वजह है कि ये बम फिशन बम से कहीं ज्यादा अधिक शक्तिशाली होता है.
अब समझिए कि बम में विस्फोट होता कैसे है
किसी परमाणु बम के विस्फोट की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब उसे सक्रिय किया जाता है. यहां पर डेटोनेटर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. डेटोनेटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो बम के अंदर मौजूद विस्फोटक सामग्री को सक्रिय करता है. बम को सक्रिय करने के लिए डेटोनेटर को सही समय पर सही तरीके से ट्रिगर करना जरूरी होता है, ताकि बम का विस्फोट प्रभावी और घातक हो सके. इसके बाद जब डेटोनेटर सक्रिय होता है तो यह विस्फोटक सामग्री में ब्लास्ट शुरू कर देता है.
इसकी वजह से शुरुआती विस्फोट न्यूक्लियर सामग्री को संकुचित करता है और फिर संकुचन की वजह से भारी नाभिक एक दूसरे के करीब आ जाते हैं, जिससे न्यूट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है. इसके बाद न्यूट्रॉन अन्य नाभिकों को प्रभावित करने लगते हैं और फिर विस्फोट की एक चेन बन जाती है. अंत में यही एक भयंकर विस्फोट का कारण बनती है.
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