हजारों किलो वजनी हवाई जहाज आसमान में रुका कैसे रहता है...गिरता क्यों नहीं है?
आसमान में जब हम हजारों किलो वजनी प्लेन को उड़ते देखते हैं तो हमारे मन में अक्सर ये सवाल आता है कि आखिर हवा में उड़ रहा प्लेन गिरता क्यों नहीं है. चलिए आज इसका जवाब जानते हैं.
आसमान में अगर हम एक छोटी सी कील भी उछालते हैं तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण वह धरती की ओर वापिस गिर जाती है. लेकिन हजारों किलो का प्लेन हवा में फिर भी उड़ता रहता है. चलिए जानते हैं आखिर ऐसा होता कैसे है. इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि आखिर इसके पीछे कौन सा विज्ञान काम करता है.
किन कारणों से प्लेन उड़ता रहता है
प्लेन आसमान में कई कारणों की वजह से उड़ता है. इनमें मुख्य कारण हैं- ऐरोडायनामिक्स टर्बुलेंस, इंजन की शक्ति, गुरुत्वाकर्षण और प्लेन का भार, कंट्रोल सर्फेस इसके अलावा स्टेबिलीटी और कंट्रोल भी प्लेन के उड़ने में सहायक होते हैं.
ऐरोडायनामिक्स टर्बुलेंस
ऐरोडायनामिक्स टर्बुलेंस प्लेन के पंखों से कमाल करता है. दरअसल, जब हवा विमान के पंखों पर से बहता है, तो यह प्लेन को ऊपर की ओर धकेलता है. इसी की वजह से प्लेन ऊपर की ओर उठता है.
इंजन की शक्ति
प्लेन में शक्तिशाली इंजन लगे होते हैं. ये इंजना फोर्स पैदा करते हैं और विमान को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं. इसके अलावा इंजन प्लेन की स्पीड और ऊंचाई पर उसे स्थिर बनाए रखने के लिए भी आवश्यक शक्ति प्रदान करते हैं.
टर्बुलेंस फोर्स का कमाल
जैसे ही प्लेन आसमान में उड़ता है, गुरुत्वाकर्षण उसे धरती की ओर वापिस खींचता है. लेकिन प्लेन के विंग्स द्वारा उत्पन्न टर्बुलेंस इस गुरुत्वाकर्षणीय बल को संतुलित करता है. जब तक उत्तेजन बल यानी टर्बुलेंस फोर्स प्लेन के वजन से ज्यादा या बराबर होता है, तब तक विमान हवा में उड़ता रहेगा.
कंट्रोल सर्फेस
प्लेन में एलिरॉन, इलिवेटर्स और रडर्स जैसे कंट्रोल सर्फेस होते हैं. पायलट इनके इस्तेमाल से विमान की अवस्था को नियंत्रित करता है. ये सर्फेस ही पायलट को प्लेन का संचालन करने और उड़ान के दौरान प्लेन की स्थिरता को बनाए रखने में मदद करती हैं.
स्टेबिलीटी और कंट्रोल
आधुनिक विमानों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि वह हवा में उड़ते समय अपनी स्थिरता को बरकरार रखें. हालांकि, कई बार मौसम की खराबी और तेज हवाओं की वजह से प्लेन हवा में उड़ते वक्त टर्बुलेंस का शिकार भी हो जाता है.
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