किसी भी शहर को कैसे मिलता है स्वच्छता का सर्टिफिकेट, दूसरे शहरों से बार-बार क्यों पिछड़ जाती है राजधानी दिल्ली?
देश में एक बार फिर सबसे स्वच्छ शहर की लिस्ट जारी हो गई है जिसमें इस बार फिर इंदौर का प्रथम स्थान हासिल हुआ है. वहीं सूरत को इस लिस्ट में दूसरा स्थान मिला है.
देश में हर बार की तरह इस बार फिर स्वस्छता की रेस में इंदौर ने पहला स्थान हासिल कर लिया है. मध्यप्रदेश के शहर इंदौर को लगातार देश का सबसे साफ सुथरा शहर स्थान होने का स्थान हासिल हो चुका है. वहीं इस बार इंदौर ने सांतवी बार ये स्थान हासिल किया है. केंद्रीय नियंत्रण बोर्ड के स्वस्छ वायु सर्वेछण 2023 में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इंदौर को 187 अंक मिले हैं. इंदौर इस स्थान को हासिल करने के लिए काफी कुछ करता है लेकिन हर बार इस लिस्ट में देश की राजधानी दिल्ली कैसे पिछड़ जाती है और कैसे स्वच्छता किसी शहर को स्वस्छता का सर्टिफिकेट मिलता है चलिए जानते हैं.
क्यों दिल्ली हर बार रह जाता है पीछे?
देश की राजधानी दिल्ली इस सर्वेक्षण में हर बार पीछे रह जाता है जिसकी वजह दिल्ली में खत्म न होने वाला प्रदूषण है. राजधानी दिल्ली में अब भी कूड़े को खुलेआम सड़कों पर फेंक दिया जाता है. वहीं शहर में बढ़ता प्रदूषण इस लिस्ट में दिल्ली को हर बार आगे आने से रोक लेता है.
कैसे होता है सर्वेक्षण?
किसी भी शहर को स्वच्छता का सर्टिफिकेट उस शहर की सफाई को देखकर दिया जाता है. विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, स्वच्छता सर्वेक्षण में कई मानकों का ध्यान रखा जाता है जैसे रैखिक संसाधन प्रबंधन, सार्वजनिक स्थानों का स्वच्छता, घरों की स्वच्छता, सार्वजनिक, शौचालयों की स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, मलजल प्रबंधन, जल प्रबंधन, वायु गुणवत्ता, सामुदायिक भागीदारी. इन्हीं मानकों के आधार पर शहरों को 0 से 100 तक के अंक दिए जाते हैं. ज्यादा नंबर वाले शहर को स्वच्छता का सर्टिफिकेट दिया जाता है. इन सभी में इंदौर हमेशा ज्यादा अंक पाता है. इस सर्वेक्षण में देशभर के 446 शहरों का सर्वे किया जाता है जिसमें दिल्ली को सभी नगर निकायों में 90वां स्थान मिला है.
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