आपने देखा होगा कि जैसे ही सर्दियां शुरु होती हैं हमारे मुंह से भाप निकलने लगती है. लेकिन गर्मियों में ऐसा नहीं होता है. जबकि, इंसान हो या जानवर जिस तरह से गर्मियों में सांस लेते समय उनके शरीर में ऑक्सीजन जाती है और सांस छोड़ते हैं तो कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है उसी तरह से सर्दियों में भी होता है. दरअसल, विज्ञान के मुताबिक इंसानी शरीर के 60 फीसद हिस्से में पानी होता है, इसलिए जब हम सांस छोड़ते हैं तो हमारे शरीर से सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकलता बल्कि उसके साथ कुछ मात्रा में पानी के वाष्प भी निकलते हैं. वही वाष्प जब ठंड में बाहर निकलती है तो जम जाती है और आपको दिखाई देने लगती है.


विज्ञान की भाषा में समझिए ऐसा क्यों होता है


विज्ञान के मुताबिक अगर इसे समझें तो गैस में अणु दूर-दूर, द्रव में थोड़े पास और ठोस में एक दम चिपके रहते हैं. वही भाप, द्रव और गैस के बीच की अवस्था है. देखा जाए तो जब बाहर के तापमान में गर्मी होती है और नमी शरीर से बाहर निकलती है तो वह गैसीय अवस्था में ही रहती है. इस दौरान इसके अणुओं की गतिक ऊर्जा कम नहीं होती है और वह दूर-दूर ही रहते हैं. यही वजह है कि गर्मियों में सांस भाप या पानी की बूंदों में नहीं बदल पाते. वहीं जब बाहर का तापमान कम होता है तो मुंह से निकलने वाले नमी और गैस अपनी गतिक ऊर्जा तेजी से खो देते हैं और उसके अणु पास पास आ जाते हैं. यही अणु पास-पास आकर भाप बन जाते हैं और हमे दिखाई देने लगते हैं.


नमी की वजह से भी ऐसा होता है


मुंह से भाप निकलने के लिए सिर्फ तापमान ही नहीं बल्कि नमी भी जिम्मेदार है. दरअसल, सांस में मौजूद पानी के वाष्प जब घने होते हैं तो वह द्रव्य का रूप ले लेते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि अगर हवा में ज्यादा नमी होगी तो आपको सांस को देखने का मौका मिल सकता है चाहे मौसम कुछ गर्म ही क्यों ना हो. वहीं अगर मौसम खुश्क हो और सर्दी ज्यादा भी होगी तो मुंह से भाप निकलने के चांसेस कम होंगे.


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