इन दिनों देश में वक्फ बोर्ड खासी चर्चाओं में है. दरअसल वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 के लिए जेपीसी का गठन कर दिया गया है. इससे पहले संसद में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया था. संसद में कांग्रेस सहित कई दलों ने इसका विरोध किया. वहीं सरकार ने इस बिल को लाने की वजह वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा. सदन में हंगामें के बीच सरकार ने इसे  संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश की है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर जेपीसी है क्या और ये कैसे काम करता है?


क्या है जेपीसी?


बता दें संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी संसद की वो समिति है, जिसका गठन संसद द्वारा किसी खास विषय या विधेयक की गहन जांच करने के लिए बनाया जाता है. जेपीसी में सभी पार्टियों की बराबर भागीदारी होती हैजेपीसी को ये अधिकार होता है कि वो किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है और उससे पूछताछ कर सकती है, जिसे लेकर उसका गठन किया गया है. यदि वो व्यक्ति, संस्था या पक्ष जेपीसी के सामने पेश नहीं होता है तो ये संसद की अवमानना मानी जाती है. यदि ऐसा होता है तो जेपीसी से संबंध रखने वाला व्यक्ति या संस्था इसके संबंध में उस व्यक्ति से लिखित या मौखित या फिर दोनों ही तरह से जवाब की मांग कर सकते हैं.


कौन होते हैं जेपीसी के सदस्य?


जेपीसी का जब गठन किया जाता है तो उसमें सदस्य कौन और कितने होंगे इसपर निर्भर करता है कि वो मामला क्या है. यानी जेपीसी में अलग-अलग मामलों के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है.


जेपीसी में अधिकतम 30-31 सदस्य हो सकते हैं, जिसका अध्यक्ष बहुमत वाली पार्टी के सदस्य को बनाया जाता है. बता दें लोकसभा के सदस्य राज्यसभा की तुलना में दोगुने होते हैं. जैसे यदि संयुक्त संसदीय समिति में 20 लोकसभा सदस्य हैं तो 10 सदस्य राज्यसभा से होंगे. इस तरह जेपीसी के कुल सदस्य 30 होंगे. शुक्रवार को जो वक्फ विधेयक संबंधी संयुक्त समिति का गठन किया गया उसमें 31 सदस्य हैं.


जेपीसी कैसे करती है काम?


जेपीसी में बहुमत वाली पार्टी के सदस्यों की संख्या सबसे ज्यादा होती है. वहीं किसी भी मामले को सॉल्व करने के लिए जेपीसी के पास 3 महीने का समय होता है. इसके बाद संसद के समक्ष उसे अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी होती है। समिति अपना कार्यकाल या कार्य पूरा होने के बाद भंग हो जाती है. ये समिति जो सिफारिशें देती है वो सलाहकारी तो होती हैं, लेकिन सरकार के लिए उनका पालन करना इतना जरुरी नहीं है. लोकसभा डिजिटिल लाइब्रेरी के मुताबिक, अलग-अलग मामलों को लेकर कुल आठ बार जेपीसी का गठन हो चुका है.


वक्फ बोर्ड के लिए जिस जेपीसी का गठन किया गया है उसकी शक्तियों की बात करें तो समिति के सदस्यों की ओर से विभिन्न खंडों में संशोधन पेश किये जा सकते हैं. समिति उन संघों, सार्वजनिक निकायों या विशेषज्ञों से सबूत भी ले सकती है जो विधेयक में रुचि रखते हैं. इसी तरह समिति वफ्फ विधेयक के पहलुओं और सांसदों की आपत्तियों पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सदन को पेश कर देगी.


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