मौसम विभाग को कैसे पता चलता है कि अगले दो दिन में कितनी सर्दी पड़ेगी और वो कोल्ड वेव होगी? जान लीजिए आज
आपने अक्सर ठंड के मौसम में मौसम विभाग द्वारा शीत लहर की घोषणा के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि मौसम विभाग को कैसे पता चलता है कि आने वाले दिनों में कोल्व वेव चलेगी या नहीं?
हम सभी ने कई बार मौसम विभाग के द्वारा मौसम का पूर्वानुमान सुना है, जिसमें वो बताते हैं कि अगले दो-तीन दिन में तापमान गिर सकता है और कोल्ड वेव का अलर्ट जारी किया जा सकता है. लेकिन यह सवाल उठता है कि मौसम विभाग को यह कैसे पता चलता है कि अगले दो दिन में कितनी सर्दी पड़ेगी और क्या वो कोल्ड वेव होगी या नहीं? चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं कि मौसम विभाग को कैल्ड वेव का कैसे पता चलता है और कैसे इसकी जांच की जाती है.
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मौसम विभाग कैसे लगाता है पूर्वानुमान?
मौसम विभाग के पास अलग-अलग उपकरणों के जरिये जानकारी आती है, जो उन्हें सर्दी के स्तर का पता लगाने में मदद करती है. जिसमें सैटेलाइट इमेजरी (Satellite Imagery), ऑटोमेटेड मौसम स्टेशन (Automated Weather Stations - AWS), मानव रहित हवाई वाहन (Drones), वायुमंडलीय मॉडलिंग (Atmospheric Modeling) शामिल होते हैं.
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कैसे लगाया जाता है कोल्ड वेव का पूर्वानुमान?
कोल्ड वेव तब होती है जब एक खास क्षेत्र में तापमान सामान्य से काफी नीचे चला जाता है और यह 24 घंटे से ज्यादा समय तक बना रहता है. कोल्ड वेव के दौरान हवा का दबाव बढ़ जाता है, जो ठंडी हवाओं का कारण बनता है. मौसम विभाग द्वारा इस दबाव प्रणाली का उपयोग किया जाता है. अगर कोई तेज दबाव का क्षेत्र बनता है, तो यह ठंडी हवाओं को प्रभावित करता है, जो सर्दी को बढ़ाते हैं. यह एक मौसम प्रणाली है, जो हिमालयी क्षेत्र से होकर गुजरती है और ठंडी हवाओं का कारण बनती है. जब पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में प्रवेश करता है, तो तापमान में अचानक गिरावट हो सकती है और कोल्ड वेव का खतरा बढ़ सकता है. मौसम विभाग इन विक्षोभों का पूर्वानुमान करता है और इससे जुड़ी सर्दी की स्थिति को पूर्वानुमान में शामिल करता है.
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