धरती पर हवा,पानी और ऑक्सीजन के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. हवा में ही ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड समेत अन्य गैस मौजूद हैं. आज यानी 15 जून के दिन हर साल दुनियाभर को हवा के महत्व को समझाने के लिए ग्लोबल विंड डे मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हवा से बिजली कैसे बन सकती है. आज पूरी दुनिया हवा से बिजली बनाने को लेकर रिसर्च कर रही है.
हवा से बिजली
बता दें कि पानी और सोलर एनर्जी के बाद अब हवा से भी बिजली तैयार होगी. पिछले साल ही अमेरिका की मैसाच्युसेट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हवा से बिजली तैयार की है. वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में बताया कि हवा से पैदा होने वाली बिजली की सप्लाई 24 घंटे हो सकती है.
वैज्ञानिकों ने बताया कि हवा में हर समय ह्यूमिडिटी यानी नमी मौजूद रहती है. उनके मुताबिक नई डिवाइस इसका इस्तेमाल करके बिजली को तैयार करती है. वहीं बिजली बनाने का यह तरीका पर्यावरण को भी बचाएगा. ये नमी पानी में बेहद छोटी-छोटी बूंद के रूप में मौजूद होती है. वहीं हर बूंद में चार्ज होता है और ये बिजली पैदा करने की क्षमता रखता है.
हवा से कैसे बनेगी बिजली
वैज्ञानिकों के मुताबिक हवा में मौजूद पानी के मॉलिक्यूल होते हैं. वहीं हवा जब डिवाइस में बने 100 नैनोमीटर से भी छोटे छेद से गुजरती है तो इन मॉलिक्यूल को लेकर आती है. वहीं जब ये मॉलिक्यूल यहां पहुंचते हैं, तो ये इलेक्ट्रिकल चार्ज पैदा करते हैं. इसे जेनेरिक एयर जेन इफेक्ट कहते हैं. इसी कॉन्सेप्ट पर नई डिवाइस काम करती है.
बिजली के लिए पूरी दुनिया तैयार
बता दें कि हवा से बिजली पाने के लिए पूरी दुनिया तैयार है. दुनियाभर के अलग-अलग देशों में भी लगातार वैज्ञानिक हवा से बिजली पाने की तकनीक में रिसर्च कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताया है कि आने वाले समय में दुनियाभर में हवा के जरिए बड़े पैमाने पर बिजली पैदा की जाएगी.
ग्लोबल विंड डे की शुरूआत
यूरोपीयन विंड एनर्जी एसोसिएशन और ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल ने ग्लोबल विंड डे की शुरूआत की थी. बता दें कि पहली बार ये दिवस साल 2007 में मनाया गया था. हालांकि पहली बार इसे यूरोप में ही मनाया गया था, लेकिन 2009 में इसे विश्व स्तर पर मनाने का फैसला किया गया था. साल 2009 में EWEA ने GWEC के साथ मिलकर दुनिया भर में इस दिवस के कार्यक्रम का समन्वय किया था. 2009 करीब 35 देशों में लगभग 300 कार्यक्रम आयोजित किए गए थे और इन कार्यक्रमों में करीब दस लाख लोग शामिल हुए थे.
विंड एनर्जी
दुनिया के अधिकांश देश विंड एनर्जी पर विश्वास करके इसमें निवेश कर रहे हैं. क्योंकि विंड एनर्जी भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की क्षमता रखता है.
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