दिल्ली के मुकाबले यूपी में कितनी महंगी है शराब? जान लीजिए टैक्स का पूरा खेल
दिल्ली के मुकाबले उत्तर प्रदेश में शराब की कीमत ज्यादा है, वहीं गोवा में शराब की कीमतें कम हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि हर राज्य में शराब की कीमतों में इतना अंतर क्यों होता है? चलिए जानते हैं.
शराब के शौकीन हर राज्य में हैं, लेकिन हर राज्य में शराब की कीमतें अलग-अलग हैं. दरअसल भारत में हर राज्य की सरकार को अपनी राजस्व की जरुरतों को पूरा कनरे के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने पड़ते हैं, उनमें से एक खास जरिया शराब की बिक्री है. शराब की कीमतें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं. इसका खास कारण राज्य सरकार द्वारा लगाया गया टैक्स है. खासकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश में शराब की कीमतों में अंतर देखा जाता है. चलिए जानते हैं दिल्ली और यूपी में शराब की कीमतों के बीच अंतर क्यों है और इसका क्या कारण है.
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क्यों दिल्ली और उत्तर प्रदेश में शराब की कीमतें हैं ज्यादा?
टैक्स शराब की कीमतों पर सबसे बड़ा प्रभाव डालता है. दिल्ली और यूपी दोनों में शराब पर वैट (Esteem Added Expense) और खास उत्पाद शुल्क (Extraordinary Extract Obligation) लागू होता है, लेकिन इन दोनों राज्यों में इन टैक्सों की दरें अलग-अलग हैं. उत्तर प्रदेश में शराब पर उच्च उत्पाद शुल्क और खपत शुल्क लगाया जाता है, जो दिल्ली से बहुत ज्यादा है. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में शराब पर लगने वाला स्टेट एक्साइज ड्यूटी (State Extract Obligation) भी दिल्ली के मुकाबले ज्यादा है.
दिल्ली में राज्य सरकार ने शराब पर मूल्य संवर्धन कर (Tank) और खास उत्पाद शुल्क कम रखा है, जिसकी वजह से यहां शराब की कीमतें सस्ती होती हैं. वहीं, यूपी में टैक्स दरों में ज्यादा वृद्धि की जाती है, जिसका सीधा असर शराब की कीमतों पर पड़ता है. सरल शब्दों में समझें तो जब कोई कंपनी शराब बनाती है तो उस पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है. यह एक तरह का उत्पाद शुल्क होता है. इसके बाद राज्य सरकारें वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) लगाती हैं. यह उस मूल्य पर लगाया जाता है जिस पर शराब बेची जाती है. इसके अलावा, स्थानीय निकाय भी शराब पर अलग-अलग तरह के कर लगा सकते हैं.
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दिल्ली के मुकाबले यूपी में क्यों मंहगी है शराब?
दिल्ली सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में शराब की कीमतों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. यहां एक्साइज ड्यूटी और वैट की दरें कम हैं. वहीं यूपी सरकार शराब से अधिक राजस्व जुटाना चाहती है. इसलिए यहां एक्साइज ड्यूटी और वैट की दरें दिल्ली की तुलना में ज्यादा हैं.
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