गोलगप्पे, पानी पुरी, पानी पताशी या फुल्की... नाम अलग-अलग हैं लेकिन जब ये सामने आते हैं तो हर किसी के मन में चटपटा स्वाद तैरने लगता है. भारत के इस मशहूर स्ट्रीट फूड को देश से लेकर विदेश तक में काफी पसंद किया जाता है. कई सालों से येे सभी का मनपंसदीदा स्ट्रीट फूड बना हुआ है. इस स्ट्रीट फूड की सबसेे खास बात ये है कि आपको इसे खाने के लिए पिज्जा या बर्गर की तरह ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ते, बल्कि बहुत ही कम पैैसों में आप कहींं भी इसे खा सकते हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि गोलगप्पेे का इतिहास कुछ सालों का नहीं बल्कि महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.
द्रौपदी ने किया गोलगप्पे का अविष्कार?
गोलगप्पे के अविष्कार को लेकर एक कहानी काफी प्रचलित है. दरअसल इसके इतिहास को महाभारत काल सेे जोड़कर देखा जाता है. जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. एक कहानी के मुताबिक, जब द्रौपदी पांडवों से विवाह करके घर आईं, तो उनकी सास और पांडवों की मां कुंती ने उन्हें एक काम दिया.
कैसे बने गोलगप्पे?
दरअसल पांडव उस समय वनवास काट रहे थे, ऐसे में दुर्लभ संसाधनों में ही उन्हें जीवन जीना पड़ता था. ऐसे में पांडवों की मां कुंती उन्हें परखना चाहती थीं और ये देखना चाहती थीं कि उनकी नई बहू उनके साथ रह पाती है या नहीं. ऐसे में कुंती ने द्रौपदी को पांडवों के लिए पेटभर खाना बनाने के लिए कुछ बची हुई सब्जियां और कुछ गेहूं का आटा दिया. जिससे द्रौपदी ने गोलगप्पे का अविष्कार किया. हालांकि इसके कोई सटिक प्रमाण नहींं है. ऐतिहासिक रूप से ये भी माना जाता है कि गोलगप्पे सबसे पहले मगध में बने थे.
क्या कहतेे हैं इतिहासकार?
कुुछ लोगों द्वारा कहा जाता है कि गोलगप्पे 300-400 साल पहले भारत आए थे, वहीं कुछ इतिहासकार ये भी मानतेे हैं कि इनका इतिहास 100 से 125 साल पुराना हैै. जो सबसे पहले उत्तर प्रदेश और बिहार के आसपास बने थे.
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