लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने के बाद भी ईवीएम को लेकर बयानबाजी खत्म नहीं हुई है. अभी भी ईवीएम को लेकर कई नेता सवाल खड़ा करते हैं. दरअसल चुनाव आयोग को लोकसभा चुनावों के 8 उम्मीदवारों से EVM और VVPAT की बर्न्ट मेमोरी के सत्यापन को लेकर आवेदन मिले हैं. आज हम आपको बताएंगे कि बर्न्ट मेमोरी क्या होता है और ये ईवीएम के लिए कितना जरूरी है. 


बर्न्ट मेमोरी


बता दें कि बर्न्ट मेमोरी ईवीएम का डाटा सुरक्षित रखता है. आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक ईवीएम कंट्रोल यूनिट परिणाम को अपनी मेमोरी में 10 साल से भी ज्यादा समय तक स्टोर कर सकता है. जानकारी के मुताबिक भारत की ईवीएम को बाकी देशों की वोटिंग मशीन के मुकाबले काफी सुरक्षित माना जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह इसमें बर्न्ट मेमोरी का होना है. बर्न्ट मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक कर देना होता है. जिससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है.


चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक ईवीएम  में इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम (सॉफ्टवेयर) को वन टाइम प्रोग्रामेबल/मास्कड चिप (हार्डवेयर) में बर्न किया जाता है. ऐसा होन के बाद उस प्रोग्राम को पढ़ा नहीं जा सकता. इसके अलावा प्रोग्राम को बदलकर दोबारा नहीं लिखा जा सकता. इस तरह ईवीएम को किसी विशेष तरीके से दोबारा प्रोग्राम करने की कोई संभावना नहीं होती है. जिसे ईवीएम में छेड़छाड़ करने की संभावना खत्म हो जाती है. यही कारण है कि भारत में मौजूद ईवीएम को सबसे सुरक्षित माना जाता है. 


कैसे होता है वोट का वेरिफिकेशन


जानकारी के मुताबिक दूसरे और तीसरे स्थान के उम्मीदवारों द्वारा आवेदन मिलने पर ईवीएम मशीन के निर्माताओं की तरफ से इंजीनियर्स की एक टीम भेजी जाती है. जो वोट परिणामों की जांच और सत्यापन करेती है. वोट के जांच के दौरान जांच की मांग करने वाला उम्मीदवार समेत बाकी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों को वहां मौजूद रहने का विकल्प दिया जाता है, इससे वो इस जांच को निष्पक्ष समझे.इस जांच का खर्च जांच की मांग करने वाला उम्मीदवार उठाता है. इस प्रक्रिया में जो खर्च आता है, उसे चुनाव आयोग नोटिफाई कर देता है., जिसकी भरपाई जांच की मांग करने वाला उम्मीदवार करेगा. हालांकि अगर ईवीएम में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो सारा पैसा उम्मीदवार को वापस कर दिया जाता है. गड़बड़ी होने पर इसका सारा खर्च सरकार वहन करती है. लेकिन अगर एक्सपर्ट द्वारा ईवीएम की रिपोर्ट सही पाई जाती है, तो जांच की मांग करने वाले उम्मीदवार का सारा पैसा आयोग के पास ही रहता है. नियमों के मुताबिक पैसा वापस पाने के लिए कोई भी उम्मीदवार आवेदन करने के योग्य नहीं होता है.


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