हाल ही में कतर में कथित तौर पर जासूसी के लिए 8 पूर्व भारतीय नौ सैनिकों को फांसी की सजा पर वहां की अदालत ने रोक लगा दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार फांसी की जगह अब इन सभी को कैद में रहना होगा. कतर में मौजूद भारत के एम्बेसडर और अन्य अधिकारी गुरुवार को इन नौ सैनिकों के परिवार के साथ कोर्ट में मौजूद रहे. लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे दूसरे देश की अदालतों में भारतीय कैसे किसी मुकदमे को लड़ते हैं.


रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार अपने नागरिकों को विदेशी अदालतों में मुकदमा लड़ने में सहायता प्रदान करती है. विदेशी मामलों में कानूनी सहायता देने का एक विभाग भारत के विदेश मंत्रालय में है. भारतीय नागरिक दूसरे देश की अदालतों में मुकदमे लड़ने के लिए इस विभाग से कानूनी सलाह और प्रतिनिधित्व मिलता है. विदेश मंत्रालय की कानूनी सहायता पाने के लिए भारत के नागरिकों को एक आवेदन पत्र, मुकदमे की जानकारी, नागरिकता का प्रमाण, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज उपलब्ध कराने होते हैं. भारतीय नागरिकों को विदेश में मुकदमा लड़ने के लिए एंबेसी से कानूनी सहायता मिल सकती है. हालांकि ये मदद कुछ मामलों में उपलब्ध है.


किन मामलों में मिलती है मदद?


रिपोर्ट्स के अनुसार नागरिकता से जुड़े मामलों में, विरासत के मामलों में, दुर्घटना के मामलों में, व्यापारिक मामलों में और आपराधिक मामलों में मदद की जाती है.


किन बातों का रखें ध्यान


अगर कोई भारत का नागरिक विदेश में मुकदमा लड़ना चाहता है तो उसे इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. जो इस प्रकार हैं. उस देश के कानूनों और प्रक्रियाओं से अवगत होना चाहिए. एक अनुभवी वकील को हायर करना चाहिए. मुकदमे की तैयारी अच्छी तरह से करनी चाहिए. मुकदमे की सुनवाई के दौरान उपस्थित होना चाहिए. विदेशों में केस लड़ना मुश्किल हो सकता है, इसलिए अनुभवी वकील चुनना चाहिए.


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