ओलंपिक खेल 2024 में भारत ने पहला मेडल अपने नाम किया है. भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने इतिहास रचा है. मनु ने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनु समेत ओलंपिक भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों को डोपिंग टेस्ट से होकर गुजरना पड़ता है. आज हम आपको बताएंगे कि डोपिंग टेस्ट क्या होता है और इसमें फेल होने पर क्या सजा मिलती है.
ओलंपिक में डोपिंग टेस्ट
बता दें कि ओलंपिक में भाग लेने वाले दुनियाभर के खिलाड़ियों को डोपिंग टेस्ट से होकर गुजरना पड़ता है. अभी ओलंपिक के शुरूआत के साथ ही डोपिंग के पहले मामले में इराक के एक जूडो प्लेयर को दो प्रतिबंधित पदार्थ (एनाबॉलिक स्टेरॉयड) के इस्तेमाल के लिए पॉजिटिव पाया गया है. अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी (आईटीए) ने शुक्रवार को बताया कि 28 साल के सज्जाद सेहेन के नमूने की जांच में प्रतिबंधित पदार्थ मेटांडिएनोन और बोल्डनोन पॉजिटिव पाया गया है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के लिए डोपिंग रोधी कार्यक्रम की देखरेख करने वाले आईटीए ने कहा कि इस खिलाड़ी के खिलाफ अनुशासनात्मक शुरू कर अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है. क्या होता है डोपिंग टेस्ट
आसान भाषा में समझिए कि डोपिंग तब होती है, जब खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करते हैं. बता दें कि डोपिंग में आने वाली दवाओं को पांच अलग-अलग श्रेणी में बांटा गया है. जिसमें स्टेरॉयड, पेप्टाइड हॉर्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग शामिल है.
कैसे होता है डोप टेस्ट
किसी भी खेल में ताकत बढ़ाने वाली दवाओं के इस्तेमाल को पकड़ने के लिए डोप टेस्ट किया जाता है. किसी भी खिलाड़ी का किसी भी वक्त डोप टेस्ट लिया जा सकता है. यह नाडा या वाडा या फिर दोनों की ओर से किया जा सकता है. इसके लिए खिलाड़ियों के मूत्र के सैंपल लिए जाते हैं, हालांकि नमूना एक बार ही लिया जाता है. बता दें कि पहले चरण को ए और दूसरे चरण को बी कहते हैं. ए पॉजीटिव पाए जाने पर खिलाड़ी को प्रतिबंधित कर दिया जाता है. हालांकि खिलाड़ी चाहे तो एंटी डोपिंग पैनल से बी-टेस्ट सैंपल के लिए अपील कर सकता है. यदि खिलाड़ी बी-टेस्ट सैंपल में भी पॉजीटिव आता है, तो उस खिलाड़ी पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
कौन करता है टेस्ट
बता दें कि डोप टेस्ट NADA यानी नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी या फिर WADA वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी की तरफ से किया जाता है. इसमें खिलाड़ियों के यूरिन को वाडा या नाडा की खास लैब में टेस्ट किया जाता है. नाडा की लैब दिल्ली में और वाडा की लैब्स दुनिया में कई जगहों पर हैं.
भारत में पहली बार कब हुआ टेस्ट
भारत में पहली बार डोपिंग नाम का खुलासा साल 1968 में हुआ था. बता दें कि दिल्ली के रेलवे स्टेडियम में 1968 के मेक्सिको ओलंपिक के लिए ट्रायल चल रहा था. ट्रायल के दौरान कृपाल सिंह 10 हजार मीटर दौड़ में भागते समय ट्रैक छोड़कर सीढ़ियों पर चढ़ गए थे और उनके मुंह से झाग निकलने लगा था. इसके बाद वह बेहोश हो गए थे. जांच में पता चला कि कृपाल सिंह ने नशीला पदार्थ का सेवन किया था, जिससे वह मेक्सिको ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर सके. इसके बाद से ही भारत में डोपिंग के कई मामले सामने आने शुरू हुए थे.
क्या मिलती है सजा
ओलंपिक में अगर कोई खिलाड़ी डोपिंग जांच में पकड़ा जाता है, तो उसे खेल से बाहर कर दिया जाता है. वहीं उसके खिलाफ अनुशात्मक कार्रवाई होती है. कुछ मामलों में खिलाड़ियों को कुछ समय साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता, इस दौरान खिलाड़ी खेल में हिस्सा नहीं ले सकता है.
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