साइकोलॉजिकल टेस्ट कैसे होता है, इससे इंसान के बारे में क्या-क्या लग जाता है पता?
किसी भी इंसान के शरीर में दिमाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. लेकिन क्या साइकोलॉजिकल टेस्ट से इंसान के बारे में सब कुछ पता चल सकता है. जानिए कब किसी का होता है साइकोलॉजिकल टेस्ट.
इंसानी शरीर का सबसे मुख्य अंग दिमाग है. जिस व्यक्ति का दिमाग अच्छे तरीके से काम नहीं करता है, वह व्यक्ति बीमार कहलाता है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर दिमागी बीमारी को पकड़ने के लिए साइकोलॉजिकल टेस्ट क्यों कराया जाता है और इससे क्या-क्या पता चल सकता है. जानिए साइकोलॉजिकल टेस्ट क्या है और किस तरह के केस में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
साइकोलॉजिकल टेस्ट
बता दें कि कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले में सीबीआई ने आरोपी संजय रॉय का साइकोलॉजिकल टेस्ट कराया था. अब सवाल ये है कि आखिर साइकोलॉजिकल टेस्ट क्या होता है. साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी टेस्ट के दौरान एक्सपर्ट्स ने यह आंकलन किया है की आरोपी संजय SATYRIASIS Hypersexuality नाम की एक बीमारी से ग्रस्ति हो सकता है.
क्या है ये डिसऑर्डर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये डिसऑर्डर ब्रेन के फंक्शन में हुई गड़बड़ी के कारण होता है. वहीं एम्स दिल्ली के मनोरोग विभाग के पूर्व डॉ. राजकुमार बताते हैं की हाइपरसेक्सुअलिटी एक दिमागी समस्या है. वहीं कई मामलों में ब्रेन में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर के फंक्शन में गड़बड़ी के कारण भी ऐसा होता है. बता दें कि ब्रेन में सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन होते हैं. यह व्यक्ति के मूड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. जब ये संतुलन से बाहर हो जाते हैं तो यौन इच्छा और व्यवहार प्रभावित हो सकता है.
साइकोलॉजिकल टेस्ट क्या होता है?
अब सवाल ये है कि साइकोलॉजिकल टेस्ट क्या होता है और इससे आरोपी की पहचान कैसे होती है. बता दें कि यह किसी आरोपी की जांच करने का एक मनो वैज्ञानिक तरीका होता है, जिसमें आरोपी के मानसिक व्यवहार का पता लगाया जाता है. इस जांच के जरिए व्यक्ति की मानसिक स्थिति का सही तरीके से आंकलन किया जाता है. इस दौरान ये देखा जाता है की उसकी सोच कैसी है. इसके अलावा आम लोगों के साथ उसका व्यवहार कैसा है और वह कितना शांत या गुस्से वाला है.
बता दें कि ये टेस्ट कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता है. यह टेस्ट मनोरोग विशेषज्ञ और साइकोलॉजिकल एक्सपर्ट्स करते हैं. इस दौरान मरीज से कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं, कुछ फोटोज दिखाई जाती है. डॉक्टर इन सभी जवाबों से आंकलन करते हैं कि आरोपी के सोचने और समझने की क्षमता कैसी है. वहीं किसी आरोपी के मामले में डॉक्टर इस टेस्ट के दौरान केस से संबंधित कई सवाल भी करते हैं. डॉक्टर्स को इस जांच के जरिए इंसान की सोच और उसके एक्शन के बारे में पता चल जाता है.
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